अगर हमें ईश्वर ने पूर्ण आस्था है और विश्वास है, क्या इसके लिए आवश्यक है कि हम पूजा पाठ भी करें? जानिए सच

ईश्वर में पूर्ण विश्वास और आस्था से पहले ईश्वर को जानना जरूरी है। आपके लिए ईश्वर की धारणा क्या है? पहले लोग धारणा बनाते थे, उन्हें उनका धार्मिक मत माना जाता था। इस धारणा के लिए शास्त्रों का अध्ययन, मनन, शास्त्रार्थ आदि होता था। इसी से उनकी ईश्वर की धारणा निकल कर आती थी। हम निराकार मत के है या साकार मत के। हम द्वैत है या अद्वैत। ईश्वर केवल सत्य है, लेकिन उस सत्य के बहुत से आयाम है।

यही आयाम विभिन्न पथ है, उस पूर्ण सत्य तक पहुंचने के लिए। अब आपको कौन सा पथ चुनना है, यह आपकी धारणा, और उस धारणा के लिए आपके मनन और चिंतन से निकलता है।

ईश्वर को ध्यान से पाइए, पूजा पाठ से पाइए, भक्ति से पाइए, सन्यास से पाइए,जैसा आप चाहे वैसे पाइए। बस दूसरों की धारणा और मत पर प्रश्न न उठाए, हो सकता है उनका चिंतन आपसे ज्यादा हो। और दूसरो से पूछकर भी अपना मत न बनाए, क्योंकि वह आपके अंदर से निकला सत्य नहीं होगा ।

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