अग्नि देवता का वाहन क्या हैं? जानिए आप भी
प्राकृतिक दशा को सम्मुख रखकर वेदों के देवताओं को तीन भागों में बाँटा जा सकता है:(१) द्यु लोक के देवता, यथा सूर्य, सविता, मित्र, पूषा, विष्णु, वरुण और मित्र । (२) अन्तरिक्षस्थनीय देवता, यथा इन्द्र, वायु, मरुत और पर्जन्य । (३) पृथिवी-स्थानीय देवता, यथा, अग्नि, सोम और पृथिवी। द्यु लोक, अन्तरिक्षलोक और पृथिवीलोक के विभिन्न क्षेत्रों में प्रकृति की जो शक्तियाँ दृष्टिगोचर होती हैं,
उन सबको देवतारूप में मानकर वैदिक आर्यों ने उनकी स्तुति में विविध सूक्तों व मन्त्रों का निर्माण किया था। अदिति, उषा, सरस्वती आदि के रूप में वेदों में अनेक देवियों का भी उल्लेख है, और उनके स्तवन में भी अनेक मन्त्रों का निर्माण किया गया है।
यद्यपि बहुसंख्यक वैदिक देवी-देवता प्राकृतिक शक्तियों व सत्ताओं के मूर्तरूप हैं पर कतिपय देवता ऐसे भी हैं, जिन्हें भाव-रूप समझा जा सकता है। मनुष्यों में श्रद्धा, मन्यु (क्रोध) आदि कि जो विविध भावनाएँ हैं, उन्हें भी वेदों में दैवी रूप प्रदान किया गया है।