अजगरदादर गांव कहाँ है और किसलिए प्रसिद्ध है ? जानिए

एमपी के मंडला जिले में अजगरों का गांव है। सर्दियों के मौसम में यह गांव सैलानियों से गुलजार हो जाता है। यहां अजगर अपनी गुफाओं से बाहर धूप सेंकने के लिए निकलते हैं।

आदिवासी बहुल मंडला जिले में अजगरों की बस्ती है। इस बस्ती में हजारों की संख्या में अजगर बेखौफ होकर रहते हैं। यहां पूरी तरह से इनका राज चलता है। सर्दियों के मौसम में यह अजगर इधर-उधर आपको घूमते मिल जाएंगे। इसके साथ ही अपने गुफाओं के बाहर वह धूप सेंकते मिलते हैं। इस नजारे को कैमरे में कैद करने के लिए बड़ी संख्या में बाहर से भी सैलानी आते हैं। कड़ाके की सर्दी के बीच अजगरों के गांव में रौनक बढ़ जाती है।

सरकार इसे ईको टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित कर रही है। अजगरों के इस गांव का नाम अजगरदादर है। गांव के बाहर लगे बोर्ड पर लिखा है कि ईको पर्यटन क्षेत्र प्रस्तावित है। अजगरदादर ककैया गांव के करीब स्थित है। यह पूर्व वनमंडल मंडला में आता है। वन विभाग के मुताबिक यहां हजारों की संख्या में अजगर वास करते हैं।

विदेशों से आते हैं सैलानी

ठंड में अजगरों का दीदार करने बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। देश ही नहीं विदेशों से भी खूब सैलानी यहां आते हैं। यह पूरा इलाका 5 एकड़ में फैला हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक यहां 15 सौ 2 हजार तक अजगर हैं। वहीं, यहां से निकल कर अजगर रहवासी इलाकों में भी प्रवेश कर जाते हैं। इसके लिए आसपास के गांवों में सर्पमित्र रहते हैं। अजगरों को पकड़ कर फिर से इन्हें सुरक्षित इनके ठिकानों पर पहुंचा देते हैं।

किसी का नहीं पहुंचाया नुकसान

स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां रहने वाले अजगरों ने कभी किसी का नुकसान नहीं पहुंचाया है। अजगर यदा कदा ही अपनी बस्ती से बाहर निकल कर जाते हैं। जानकारों के अनुसार जंगल का यह इलाका खंदर, खोह और दलदल वाला है। इन्हीं खोहों में अजगर रहते हैं। जरूरत है कि प्रशासन इस क्षेत्र को संरक्षित करे, जिससे पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।

पत्थरों पर आते हैं धूप सेंकने

इस बस्ती में पाए जाने वाले अजगर इंडियन रॉक पाइथन प्रजाति के हैं। वन विभाग के लोगों ने बताया कि पाइथन कोल्ड बल्डेड स्पीसीज है। अजगरों के गांव में डोलोमाइट रॉक्स है। सर्दियों में धूप निकलने के बाद यह जल्द गर्म हो जाती है। इसी वजह से अजगर दोपहर के टाइम धूप सेंकने निकलते हैं। वह डोलोमाइट रॉक्स पर आराम से लेटे रहते हैं। फिर अपनी गुफाओं में चले जाते हैं।

ये है किस्सा

अजगरों की बस्ती को लेकर कई किस्से भी यहां मशहूर हैं। बताया जाता है कि 1926 में इस इलाके में भीषण बाढ़ आई थी। इसके बाद यह पूरा इलाका पूरी तरह से पोला हो गया था। उसके बाद चूहों और गिलहरी के साथ अन्य जीवों का बसेरा हो गया था। ये सारे जीव-जंतु अजगरों के प्रिय भोजन में शामिल हैं। इसी वजह से अजगरों ने अपना गांव यहां बसा लिया है।

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