आखिर पृथ्वी के नीचे क्या है, क्या सच में पृथ्वी शेषनाग पर टिकी हुई है? जानिए
सबसे पहले पृथ्वी के आकार के बारे में बात करते है । यूं देखा जाए तो पृथ्वी का आकार लगभग गोल नजर आता हैं और यह अपने ध्रुवो पर चपटी सी है मतलब की सपाट है । लेकिन पृथ्वी का आकार रियल में अंडाकार है ।
और बात करें पृथ्वी की आंतरिक संरचना की तो पृथ्वी की आंतरिक संरचना शलकीय अर्थात परतों के रुप में है जैसे प्याज के छिलके परतो के रूप में होते हैं । पृथ्वी के सबसे ऊपरी भाग पर क्रस्ट वाली लेयर बनी हुई है इसके नीचे मेंटल की लेयर आती है । जो कि बीच मे होती हैं । इसके बाद कोर वाला भाग आता हैं जो कि पृथ्वी के केंद्र में स्थित है । ये भाग पूरा मेटल से बना हुआ है ।
इस जगह का तापमान बहुत ही हाई लेवल का होता है । अब हम अगर पृथ्वी के ऊपर गहरा गड्डा खोदते है तो हम पृथ्वी की इन सारी परतो को पार करते हुए केंद्र में यानी कोर के पास पहुँच जाएंगे।लेकिन वहाँ पर पहुँचना सम्भव नही है क्योंकि वहाँ का तापमान सूर्य जितना हाई होता है । वहाँ पर हम जिवित भी नही रह पाएंगे । वहाँ पर तो हम केवल काल्पनिक दुनिया मे ही जा सकते है ।
मान लो हम कल्पना करके वहां चले गए और वहाँ पर बाहर की और जाने के लिए पृथ्वी को खोदना शुरू करते है तो हम पृथ्वी के एक वक्र प्रष्ट से दूसरे वक्र प्रष्ट पॉइंट पर पहुंच जाएंगे मतलब की हम भारत के किसी स्थान से खोदना सुरु करते है तो उसके विपरीत दिशा में जो कैंट्री है उसमें निखलेंगे । अभी भी आपको मेरी बात समझ में नहीं आई तो मैं आपको थोड़ा विस्तार से समझाता हूँ ।
जैसे कि मान लो हम धरती के इस जगह पर जो आपको विडियो में दिखाई दे रही है वहा पर गड्ढा खोदना शुरू करते है तो हम इसके विपरीत दिशा में एक वक्र पृष्ठ प्वाइंट से दूसरे वक्र पृष्ठ प्वाइंट तक पहुंच जाएगे ।
क्योंकि पृथ्वी तो गोल है फिर भी आप को नहीं समझ आया है तो आप एक बोल के एक जगह से छेद करते है तो आप उसके विपरीत दिशा में जो भी स्थान आता है वहां निकलेगे । लेकिन पृथ्वी पर ऐसा करना संभव नहीं है । इन बातों को हम सोच कर कल्पना ही कर सकते है । रियल में ऐसा कुछ कर पाना संभव नहीं है।
लेकिन 1970 के शीत युद्ध के युग में सोवियत के वैज्ञानिको ने पृथ्वी के अंदर की जानकारी हासिल करने के लिए गहरा गड्डा खोद दिया । जिसका का नाम कोला सुपर दीप होल है । जो कि रूस में है । वैज्ञानिकों ने सोचा कि पृथ्वी के कितना अंदर तक जाया जा सकता है ।
पहले उन्हें बिल्कुल भी आईडिया नहीं था कि पृथ्वी के कितना अंदर तक जाया जा सकता है वैज्ञानिक पृथ्वी को खोदते खोदते 1100 मीटर तक चले गए । इससे ज्यादा और वैज्ञानिक खुदाई नहीं कर सकते थे क्योंकि वहां का तापमान बहुत ही ज्यादा गर्म था वहां पर वैज्ञानिकों की मशीनें खराब होने लग गई और गड्डे के अंदर रहना मुश्किल हो रहा था । जिस वजह से वैज्ञानिकों को बाहर आना पड़ा ।
अपन पृथ्वी में कहां पर है आप तो यही सोच रहे होंगे कि हम एक सपाट जगह पर बैठे हैं । हमारा घर , समुद्र , पहाड़ और यह पृथ्वी पर सारी चीजें एक सपाट जगह पर है लेकिन ऐसा नहीं है । हम गोल पृथ्वी के पृष्ठ मतलब की वक्र पृष्ठ यानि गोले पर स्थित है और यह सब चीजें ग्रेविटी यानी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण केंद्र की तरफ आकर्षित है जिस कारण हम पृथ्वी से नीचे नही गिरते है ।
अब बात करते हैं कि पृथ्वी पूरे ग्रह के नीचे क्या है पूरा अर्थ प्लानेट किस पर टिका हुआ है । अब आप मे से कई लोगो ने यह सुन रखा है की पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है लेकिन ये केवल काल्पनिक बाते ही है रियल मे ऐसा कुछ नही है ।
आपको जानकर हेरानी होगी की पृथ्वी के नीचे कुछ नही है क्योंकि पृथ्वी सोरमंडल मे स्थित है और सोरमंडल गेलेक्सी यानि आकाशगंगा में है तो गेलेक्सी के अंदर मोजूद धूल के कण और तारे बगैरा और भी कई सारी संरचनाये पृथ्वी के नीचे हो सकते है लेकिन वो भी बहुत ज्यादा नीचे हो सकती है जो की पृथ्वी के निचले सिरे से कोई लेना देना नही है । मतलब साफ है कि पृथ्वी के नीचे कुछ भी नही है ये तो केवल सूर्य के गुरुत्वाकर्षण की वजह से टिकी हुई है।