इंद्र की अप्सराओं ने अनेक ऋषियों का तप भंग किया लेकिन वह कौन से ऋषि थे जिनका तप अप्सराएं भंग नहीं कर सकी थी?
नारद ऋषि- एक बार नारद ऋषि घोर तपस्या में लीन थे। उनकी कठोर तपस्या देखकर इंद्र सोचने लगे कहीं नारद जी स्वर्ग का राज्य ना ले लें। इस डर से इंद्र कामदेव और अप्सराओं को नारद मुनि का तप भंग करने के लिए भेजते हैं।
कामदेव अपनी सेना के साथ नारद के पास पहुंचकर माया जाल फैलाने लगते हैं। जहां नारद जी तप कर रहे थे वहां अप्सरायें नृत्य करने लगती हैं, बसंत ऋतु वाला माहौल बन जाता है सभी प्राणी काम विह्वल हो जाते हैं लेकिन नारद जी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
नारद जी का अडिग तप देखकर कामदेव लज्जित हो जाते हैं और शाप के डर से भयभीत भी हो जाते हैं। कामदेव इसी भय से नारद के पैरों में गिरकर क्षमा मांगने लगते हैं। लेकिन मुनि उनपर क्रोध नहीं करते बल्कि क्षमा कर देते हैं। कामदेव सेना के साथ वापस स्वर्ग लोग जाते हैं और इंद्र से सारा वृत्तांत कहने लगते हैं। अब तीनों लोगों में नारद की जय जयकार होने लगती है
इधर नारद जी को काम और क्रोध पर विजय प्राप्त करने का अभिमान हो जाता है। नारद के अभिमान को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु उन्हें बंदर का स्वरूप देते हैं जोकि बाद में रामावतार लेने की एक वजह बनी।