इमली के पेड़ का प्रेत मजेदार कहानियां

एक बार की बात है एक गांव में एक बूढ़ा ब्राम्हण और उसकी पत्नी रहती थी। वे गांव में लोगों के घरों में पूजा करके अपना घर चलाया करते थे, एक दिन ब्राम्हण की पत्नी

ब्राह्मण से कहती है आजी आजकल कोई गांव वाले आपको

पूजा करने नहीं बुलाकर आपके शिष्य मोहन को बुलाते हैं

आप मोहन को जाकर कुछ बात क्यों नहीं करते घर में एक अन्न का दाना भी नहीं है बस एक समय का और चावल बचा है इतने में ब्राह्मण कहता है कि वो मेरे शिष्य था वो मुझे हमेशा याद रखता है एक बार जब मुझे देखा था तो प्रणाम भी किया था अब इस हालत में उसके पास जाऊंगा तो उसे दुख होगा। फिर ब्राह्मण कहता है कि जाओ जाकर जो बाकी का अन्न बचा है वो ले आओ क्या पता इसके बाद खाना नसीब हो या ना हो फिर उसकी पत्नी चावल बनाकर लाती है

और दोनों आज साथ मिलकर खाते हैं।

धीरे धीरे दो दिन बीत जाता है ब्राह्मण की पत्नी लेटे हुए कहती हैं आज दो दिन बीत गए बिना कुछ खाए हुए तब ब्राह्मण कहता है और थोड़े दिन इंतज़ार कर लो स्वर्ग जाते ही अच्छे अच्छे पकवान मिलेंगे।

उसिदन गांव का प्रधान अपने दो लोगों के साथ घूम रहा था तभी उन्हें एक इमली का पेड़ दिखाई देती है प्रधान कहता है लोग क्यूं इस पेड़ के आस पास इतनी जामीन है मगर खेती नहीं करते तभी वो दो आदमी बोलते हैं प्रधान जी इस इमली के पेड़ में दो खतरनाक प्रेत रहते हैं रात के समय जो भी इस पेड़ के पास जाता है तो उसका मारना निश्चित है।

उसके बाद प्रधान सोचता है क्या इस गांव में एसा कोई साहसी व्यक्ति होगा जो इस पेड़ में रात के समय जा सके और जिंदा वापस लौट सके उसके बाद प्रधान गांव में ढिंढोरा पिटा देता है कि अगर जो भी व्यक्ति गांव के उस भूतिया इमली के पेड़ के सामने रात में जा सकेगा तो उसे 20 एकड़ की जमीन मुफ्त में मिलेगी ये सुनकर सारे गांव वाले सोचते हैं कोन 20 एकड़ की जमीन के लिए अपना जान खतरे में डालेगा तभी वो बूढ़ा ब्राह्मण ये बात सुनता है तो सोचता है एसे भी में मारना ही चाहता था अगर में उस पेड़ के पास रात में जा सकूं और जिंदा वापस आ गया तो 20 एकड़ जमीन मिलेगी जिसमें खेती करके 2 वक्त की रोटी मिल जाएगी और मेरी पत्नी को भी खुश रख पाऊंगा और फिर वो जाकर प्रधान से कहता है में जाऊंगा रात में वाहा प्रधान दंग रह जाता है और कहता है सोच लो वो बोलता है सोच लिए कब जाना है ये बताइए फिर मुखिया बोलता है आज रात में ही चालेजाओ और एक लाल कपड़ा लेकर जाना और वहा सबसे ऊपर वाली डाली में बांधना ताकि हम जान सकें कि तुम वहां गए थे। और फिर ब्राह्मण घर आकर अपनी बीवी को सारी बात बताता है लेकिन उसकी बीवी कहती है मुझे तो बोहोत डर लग रहा है आप मत जाइए वहा मगर ब्राह्मण समझते हुए कहता है वैसे भी हम मारने वाले हैं अगर में ये काम कर देता हूं तो हमारी सारी समस्या दूर हो जाएगी उसके बाद ब्राह्मण एक लाल कपड़ा लेकर चला जाता है वहा पोहुंचने के बाद वो देखता है दो प्रेत सचमुच दो डाली पर बैठे हुए हैं और ब्राह्मण को देख कर बोलते हैं तेरी इतनी हिम्मत तू यहां आ गया तू जानता नहीं है कि यहां आने वाला नहीं बचता फिर ब्राह्मण हाथ जोड़ कर बोलता है प्रेत जी में और मेरे बीवी 3 दिनों से भूके हैं और मुझे कोई काम भी नहीं देता अगर में इस पेड़ में ये लाल कपड़ा नहीं बंधुंगा तो वैसे भी में और मेरी पत्नी भूखे मर जाएंगे ये सुनकर भूत दुखी हो जाते हैं और उसके हाथ से लाल कपड़ा लेकर सबसे ऊंची वाली डाल में बांध देते हैं और कहते हैं जाओ तुम्हारी सारी समस्या दूर हो जाएगी और दोबारा यहां मत आना।

ये सुनकर ब्राह्मण खुशी खुशी घर चला जाता है सुबह गांव वाले ये देखकर हैरान हो जाते हैं और सोचते हैं जो कोई नहीं कर पाया वो ये बूढ़ा ब्राह्मण कर दिखाया प्रधान आता है और उसे 20 एकड़ जमीन देते हुए कहता है मुझे खुसी है कि इस गांव में आपके जैसे साहसी व्यक्ति भी है। फिर ब्राह्मण इतने बड़े खेत को देखकर हैरान हो जाता है और सोचता है इस उम्र में इतनी बड़ी जामिन में खेती केसे करूंगा और फिर वही पेड़ के पास जाता है प्रेत ये देखकर पूछते हैं तू फिर से यहां आ गया फिर ब्राह्मण कहता है प्रेत जी मुझे जामिन तो मिल गई मगर में इतनी बड़ी जामिन पर इस उम्र में कैसे खेती करूंगा फिर भूत बोलता है ठीक है जाओ ये परेशानी भी तुम्हारी दूर हो जाएगी और वो जैसे ही घर जाता है देखता है फसल उग कर तैयार हो चुका है फिर वो खुशी खुशी सारा फसल काटकर शहर में जाकर बेच देता है और उसमे जो पैसे मिले उसमे अपना घर भी चालाने लगा अब गांव में कोई भी पूजा होता तो सभी उस ब्राह्मण को ही बुलाते थे और उनके साहस का प्रशंसा करते थे।

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