इस वैज्ञानिक की मृत्यु के बाद उसके शरीर के इन “पार्ट्स” को निकाल लिया गया था

18 अप्रैल 1955 में फादर ऑफ रिलेटिविटी और अब तक के सबसे बड़े साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टाइन की मौत हो गई और फिर उनकी बॉडी को न्यू जर्सी की एक जगह प्रिंसटन के मुर्दाघर में रख दिया गया है। आइंस्टाइन की ये ख्वाहिश थी कि उनके शरीर का अंतिम संस्कार हो, लेकिन जो पैथोलॉजिस्ट थे, उनको लगा कि इतने बड़े साइंटिस्ट की बॉडी को इस तरह से अंतिम संस्कार करके बर्बाद कर देना। यह बहुत गलत बात होगी और फिर बिना परमिशन के उस पैथोलॉजिस्ट ने उनकी खोपड़ी को तोड़कर खोलकर उसमें से उनका ब्रेन चोरी कर लिया और इतना ही नहीं उस शक्स ने तो आइंस्टाइन की दोनों आंखें तक निकाल ली।

डॉ हार्वे ने फिर उन निकाले हुए अंगों को अलग-अलग जार में रख दिया और फिर फोन करके न्यूयॉर्क टाइम को खबर भी कर दी और यह खबर सुनते ही आइंस्टाइन के परिवार वाले भड़क गए। नाराज हो गए, लेकिन फिर डॉक्टर हार्वे ने उनके परिवार वालों को मना लिया। कन्वेंस कर लिया यह कह कर कि यह जो भी किया है। साइंस के लिए किया है। अब आइंस्टाइन की आंखों वाली जार को आइंस्टाइन के आंखों के डॉक्टर को हवाले कर दिया गया जिनका नाम।

सनी अब्राहम और फिर उन्होंने उस आंखें वाले जार को एक लॉकर में डाल कर के बंद कर दिया जिसके बारे में यह अफवाह है कि शायद वह कहीं न कहीं न्यूयॉर्क सिटी में ही मौजूद हैं, लेकिन जो आइंस्टाइन का ब्रेन था, उसने काफी लंबा सफर तय किया। उस डॉक्टर ने अल्बर्ट आइंस्टाइन के दिमाग को 240 हिस्सों में डिवाइड किया और तकरीबन उनके दिमाग के हर अलग-अलग हिस्से से उसने अलग-अलग 1000 स्लाइड बनाया। हर एक हिस्से के लिए 1000 स्लाइड और फिर उन को अलग-अलग डिब्बों में पैक करके दुनिया भर के शोधकर्ताओं को भेज दिया गया।

हालांकि हार्वे ने आइंस्टाइन का दिमाग चोरी किया। वह भी साइंस का नाम लेते हुए वह भी इस बात का वादा करते हुए कि वह भविष्य में उनके दिमाग से जुड़ी जरूरी जानकारियां लेकर वो लोगों के सामने आएंगे। लेकिन 40 सालों में उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, लेकिन उन्होंने जो स्लाइड बनाए थे, जिसे डिब्बों में डालकर दुनिया भर के अलग-अलग रिसर्चस को भेजा था और रिसर्चस ने आइंस्टाइन के दिमाग के बारे में कुछ अजीबोगरीब बातें जरूर बताई ।

जैसे कि आमतौर पर लोगों का आइक्यू 90 से 110 होता है, लेकिन आइंस्टाइन का 160 से 190 के बीच में था? आइंस्टाइन का दिमाग आम तौर पर आम लोगों के दिमाग से थोड़ा छोटा था, लेकिन इसके अलावा दिमाग का एक हिस्सा जिसे “इनफीरियर पैराइटल” कहते हैं। आइंस्टाइन का दिमाग का वह हिस्सा आम तोर के लोगों से 15% ज्यादा बढ़ा था। दरअसल, यह दिमाग का वह हिस्सा है जो लैंग्वेज (भाषा) और मैथमेटिक्स के लिए जिम्मेदार होता है

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