इस शिवलिंग के सामने मृत व्यक्ति हो जाता है जीवित,जानिए कैसे

आए दिन हमें कई चमत्कार सुनने और देखने को मिलते रहते हैं। अगर हम आपसे यह कहें कि मरने के बाद भी लोग ज़िंदा हो सकते हैं… तो लोग इसे अन्धविश्वास से ज्यादा और कुछ नहीं कहेंगे। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन सत्य यह है कि एक स्थान ऐसा भी है जहां अगर किसी मृत व्यक्ति के शव को लेकर जाया जाए, तो उसकी आत्मा उस शव में फिर से प्रवेश कर जाती है।

इस बात से हम इंकार नहीं कर सकते हैं कि जन्म और मृत्यु अटल सत्य है। अगर इन्हें सिक्के के दो पहलू भी कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। वहीं, जन्म के बाद मृत्यु का होना भी बहुत ज़रूरी है और मृत्यु के बाद शरीर त्यागकर रूह (आत्मा) का किसी दूसरे शरीर में प्रवेश करके फिर से दोबारा जन्म लेना भी निर्धारित है।

ऐसा मानना है कि आत्मा एक बार जिस शरीर को छोड़ देती है वह फिर से उसी शरीर में कभी भी प्रवेश नहीं करती। बता दें कि वह आत्मा अपने लिए एक नए शरीर की तलाश करती है, इसलिए मृत्यु के बाद किसी का वापस लौटकर आना संभव नहीं है… कम से कम उस शरीर में तो बिल्कुल भी नहीं जिसे आत्मा पहले ही त्याग चुकी है।

गौरतलब है कि भगवान के चमत्कार के आगे प्रकृति को भी झुकना पड़ जाता है। जन्म और मृत्यु इन दोनों पर भी भगवान का अधिकार है और वह चाहे तो प्रकृति के इस नियम को भी तोड़ सकते हैं। आज के इस लेख में एक ऐसी जगह के बारे में बात करेंगे, जो मृत्यु के बाद व्यक्ति के दोबारा जीवित होने से जुड़ा हुआ है।

कहां है वह जगह

आज वेद संसार आपको बताने जा रहा है एक ऐसे शिवलिंग के बारे में जंहा जाने पर मृत व्यक्ति भी जीवित हो उठता हैं। बता दें कि देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खूबसूरत प्रकृति की वादियों में बसा लाखामंडल गांव शिवलिंग को लेकर कई रोचक और आश्चर्यजनक मान्यताओं के लिए प्रचलित है।

जान लें कि समुद्र तल से इस स्थान की ऊंचाई लगभग १३७२ मीटर है। दिल को छू लेने वाली यह जगह गुफाओं और भगवान शिव के मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरी हुई है। यही नहीं, यहां पर खुदाई करने के समय में अलग-अलग आकार के और विभिन्न ऐतिहासिक काल के हजारों शिवलिंग मिले हैं।

विशेष शिवलिंग की कहानी –

कहते हैं कि महाभारत काल में पांडवों को जीवित ही आग में भस्म करने के लिए उनके खुद के चचेरे भाई कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। ऐसी मान्यता है कि अपने अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर खुद युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना की थी। बता दें कि इस शिवलिंग को आज भी महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है, जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था वहीं एक बहुत खूबसूरत मंदिर का निर्माण किया गया था। जान लें कि शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए दिखाई देते हैं।

ध्यान दें कि मंदिर में अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर, अगर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़क देते हैं तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए फिर से ज़िंदा हो उठता है। वहीं, जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल पिलाया जाता है।

आश्चर्य की बात यह है कि गंगाजल के ग्रहण करते ही उसकी आत्मा एक बार फिर से अपनी शरीर को त्यागकर चली जाती है। हालांकि, इस बात का रहस्य क्या है यह आज तक कोई नहीं जान पाया है। इस खास मंदिर के पीछे दो द्वारपाल मौजूद हैं, जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। अब आखिर ऐसा क्यों हैं… यह बात आजतक एक रहस्य ही बना हुआ है।

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