उत्तराखंड का एक गांव, जहां इंसान नहीं सिर्फ भूत रहते है

आप सब ने भूतिया जगह या फिर भूतिया घर के बारे में सुना होगा। लेकिन कभी यह सुना है कि पूरे गांव पर ही भूतों का राज़ हो। जी हाँ, भारत में एक ऐसा गांव है, जहां इंसान नहीं बल्कि भूत रहते है। भूतों के कारण यह गांव बिलकुल वीरान पड़ा है। लेकिन ऐसा क्या हुआ होगा, जो यह गांव भुतहा बन गया। इस गांव के वीरान और भुतहा होने के पीछे बहुत दर्द भरी कहानी है।

इस गांव का नाम ‘स्‍वाला’ है, जो उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्तिथ है। 1952 में गांव में एक ऐसी घटना हुई, जिसके बाद यहां सब बर्बाद हो गया। 1952 में एक दिन गांव से बटालियन की पी.ए.सी की एक गाड़ी जा रही थी, जिसमें आठ जवान सवार थे।

बैलेंस बिगड़ने के कारण वह गाड़ी खाई में गिर गई। गाड़ी में फसे जवान मदद के लिए चिल्लाने लगे। लेकिन गांव वाले जवानों को बचाने की बजाए उनका सामान लूटने लगे। कोई भी मदद ना मिलने के कारण जवानों की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।

कहते है उस घटना के बाद जवानों की आत्माएं उस गांव में भटकने लगी। गांव में बहुत अजीब घटनाएं होने लगी। आत्माओं ने गांव में इतना कोहराम मचाया कि गांव वालों का जीना मुश्किल कर दिया था।

गांव वालों को उनके चीखने की आवाज़ें सुनाई देती और उनको लगता के कोई और भी साथ चल रहा है। इन सब घटनाओं से तंग होकर गांव वाले गांव छोड़ कर भाग गए। लोग कहते है कि गांव में जवानों की आत्माएं आज भी भटकती है, इसीलिए यह गांव वीरान पड़ा है।

जिस खाई में जवानों की गाड़ी गिरी थी, उस जगह पर जवानों की आत्मा की शांति के लिये नवदुर्गा का मंदिर बनवाया गया है। जो भी लोग उस रास्ते से गुज़रते है उस मंदिर में भी ज़रूर रुकते है।

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