एक मंदिर का रहस्य ,जहां शिव की पूजा करने आता है नाग-नागिन का जोड़ा

देश और दुनियां में कई तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जिनमें से कुछ रहस्यमयी कहानी के रूप में समाज में उभरतीं हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां शिवरात्रि के मौके पर हर साल नाग और नागिन का जोड़ा भगवान शिव की पूजा करने आते है और पूजा करने के बाद आराम से चले जाते हैं।

ये मंदिर हरियाणा कैथल जिले में पेहवा के नजदीक अरूणाय में स्थित है। श्री संगमेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को नाग नागिन से यहां कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। पुजारी के मुताबिक, नाग-नागिन का जोड़ा शिव प्रतिमा की परिक्रमा भी करता रहता है।

शिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पुराणों के अनुसार यहां भगवान शिव स्वंय लिंग रूप में प्रकट हुए थे। जो स्वंयभू लिंग के रूप में मुख्य मंदिर में आज भी विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी के मुताबिक यहां दूध बिलोकर मक्खन नहीं निकाला जाता है। यदि कोई प्रयास करता है तो दूध खराब होकर कीड़ों में बदल जाता है।

शिवलिंग पर जलाभिषेक व पूजन करवाने और यहां स्थित बेल वृक्ष पर धागा बांधने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मन्नत पूरी होने के बाद यहां पूजा करवाने व धागा खोलने के लिए श्रद्धालुओं को दोबारा आना पड़ता है। कहते हैं कि देवी सरस्वती ने श्राप मुक्ति के लिए की यहां शिव-आराधना की थी।

पूरा वर्ष यहां राजनीति व व्यापार से जुड़े लोगों का तांता लगा रहता है। चुनाव लडऩे से पूर्व बहुत से नेता यहां मन्नत मांगते आते हैं। मंदिर परिसर में खाट अर्थात चारपाई का प्रयोग नहीं किया जाता है। मंदिर को मनोविज्ञान का केंद्र भी कहा जाता है। मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति यहां जल चढ़ाते हैं।

और दिमाग को तनावमुक्त महसूस करते हैं। वहीं लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए भगवान शिव की आराधना भजन कीर्तन के साथ इस मंदिर में आकर करते हैं।

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