कपिल देव का कौन सा रिकॉर्ड है जो आज तक नहीं टूटा है ?
साल 1983, भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण साल। भारत पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बना। लगातार दो बार की चैंपियंस वेस्ट इंडीज़ को हराकर भारत ने यह उपलब्धि हासिल की। इसके बाद इसी साल वेस्ट इंडीज़ की टीम भारत दौरे पर आई।फुल रिवेंज मोड ऑन करके।
विंडीज ने टूर की धमाकेदार शुरुआत करते हुए पहला टेस्ट पारी और 83 रन से जीत लिया। दिल्ली में हुआ दूसरा टेस्ट ड्रॉ रहा।अब तीसरा टेस्ट अहमदाबाद में होना था। भारतीय कप्तान कपिल देव ने टॉस जीता और पहले बॉलिंग का फैसला किया।
शुरुआती खेल में फैसला सही होता भी दिखा। विंडीज़ ने सिर्फ 27 रन पर तीन प्रमुख विकेट गंवा दिए। 124 पर चौथा और 134 पर पांचवा विकेट भी गिर गया। लेकिन क्लाइव लॉयड 68 और जेफ डुजों ने 98 रन बनाकर विंडीज को 281 के टोटल तक पहुंचा दिया। जवाब में गावस्कर ने 90 मारे लेकिन टीम इंडिया 241 ही बना पाई।
टीम इंडिया को 40 रन से पछाड़ने के बाद विंडीज़ की टीम दोबारा बैटिंग के लिए आई। सबको लगा था कि अपनी दूसरी पारी में विंडीज़ की टीम बड़ा स्कोर बना देगी। लेकिन कपिल के इरादे कुछ और ही थे।मूड में कपिल थे लेकिन शुरुआत कर दी बलविंदर संधू ने। उन्होंने सिर्फ चार के टोटल पर डेसमंड हेंस को संदीप पाटिल के हाथों कैच करा दिया।
बस फिर क्या था, बचे हुए नौ के नौ विकेट कपिल के खाते में आ गए। उन्होंने एक के बाद एक, विंडीज़ के नौ विकेट ले डाले। इसके साथ ही कपिल ऐसा करने वाले सिर्फ तीसरे भारतीय बन गए। उनसे पहले सुभाष गुप्ते और जासु पटेल यह कारनामा कर चुके थे। इतना ही नहीं इस बोलिंग के दम पर कपिल टेस्ट की एक पारी में नौ विकेट लेने वाले पहले कप्तान भी बन गए। यह आज तक किसी कप्तान द्वारा टेस्ट में की गई सर्वश्रेष्ठ बॉलिंग है।