कलाम द्वीप कहाँ है और यह क्यों प्रसिद्ध है? जानिए
अब्दुल कलाम द्वीप भुबनेश्वर से 150 किमी दूर भद्रक जिले में है ।यह भारत के प्रमुख मिसाइल परीक्षण केन्द्रों में से एक है।
पहले इस द्वीप का नाम व्हीलर द्वीप था । 2015 में इसका नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के नाम पर करने का निर्णय लिया गया। देश के मिसाइल कार्यक्रम के विकास में डॉ. कलाम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
साल 1993 में डॉ कलाम के कहने पर उड़ीसा के तत्कालीन सीएम बीजू पटनायक ने व्हीलर द्वीप रक्षा मंत्रालय को अपने प्रयोगों के लिए दे दिया था। इसके बाद से इस आइलैंड पर लगातार प्रयोग होते आए हैं।
ये वही द्वीप है, जहां देश के सारे रॉकेट और मिसाइल सिस्टम का परीक्षण होता है । यही वजह है कि यहां जाने- आने पर सख्त पाबंदी है । कोई भी शख्स यहां बिना इजाजत नहीं पहुंच सकता.
बंगाल की खाड़ी में बसा ये द्वीप लंबाई में लगभग 2 किलोमीटर और 390 एकड़ में फैला है । भद्रक जिले का धर्मा पोर्ट यहां का सबसे करीबी बंदरगाह है.
द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए कोई पुल या हवाई अड्डा नहीं है। बस, एक छोटा हेलीपैड है । मिसाइल एयरफ्रेम और सभी आपूर्ति, निर्माण सामग्री और भारी उपकरण जहाज से पहुंचाए जाते हैं । सिर्फ DRDO का स्टाफ और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ही इस द्वीप पर आ-जा सकते हैं।इसके अलावा आम लोगों के द्वीप पर जाने की मनाही है ।