काली चाय का सेवन स्वास्थ्य के लिए इतना लाभकारी क्यों माना जाता है? जानिए
काली चाय में न तो दूध मिलाया जाता है और न ही चीनी। इस चाय का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। आओ जानते हैं:—
काली चाय में मौजूद तत्व शरीर की चर्बी घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं। काली चाय के सेवन से वजन कम होता है क्योंकि उसमें ना तो दूध मिलाते हैं और ना ही चीनी। काली चाय के लिए हमेशा टी बैग का प्रयोग करें।
काली चाय में दूध और चीनी नहीं होती है इसलिए मधुमेह के रोगी इसे बिना डरे पी सकते हैं। रोजाना काली चाय के सेवन से डायबिटीज यानि मधुमेह होने की संभावना कम हो जाती है। इसके सेवन से ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम से जुड़े तमाम रोग तथा टाइप 2 मधुमेह का भी खतरा बेहद कम हो जाता है।
काली चाय एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। बेहतर इम्युनिटी के कारण बीमारियां जल्दी नहीं होती हैं और स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
काली चाय में पाये जाने वाले तत्वों के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाती है। हड्डियों को मजबूत बनाने और अर्थराइटिस के खतरे को कम करती है। अगर आप 30 की उम्र को पार कर चुके हैं तो काली चाय रोज़ पीएं। इससे बोन डेंसिटी, ऑस्टियोपोरोसिस, और फ्रैक्चर का खतरा कम करने के लिए काफी मदद मिलती है।
काली चाय में मानसिक शांति पहुंचाने वाले गुण होते हैं। यह न सिर्फ यह आपको दिन भर की थकान से राहत दिलाने में मदद करती है, बल्कि एकाग्रता में भी इजाफा करती है। इसका नियमित और संतुलित सेवन तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन कार्टिसोल के स्तर में भी गिरावट लाता है।
काली चाय पीने से कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है। रोजाना एक कप काली चाय कैंसर को रोकने में मददगार है।
रोजाना 3 कप काली चाय पीने से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
अगर आप पेट की समस्या से परेशान हैं तो काली चाय आपके लिए काफी फायदेमंद है। इसमें टेनिन के गुण पाएं जाते हैं जो पाचन शक्ति को दुरस्त रखने में मदद करते हैं। इससे दस्त व गैस इत्यादि पेट से जुड़ी समस्या से छुटकारा मिलता हैं।
काली चाय का रोजाना सेवन कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित में रखता है। जिसकी वजह से खुद ब खुद कई बीमारियों से बच जाते हैं।
अगर आप भी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते है तो काली चाय पीएं। इससे किडनी की समस्या नहीं होती। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर काली चाय के सेवन से किडनी में स्टोन बनने का खतरा भी कम होता हैं।
जब भी अस्थमा का अटैक आता है तो हवा का संचार करने वाली नालियों में सूजन हो जाती है। कड़वी चाय अस्थमा अटैक को रोकने में मददगार साबित हो सकती है और इसे दमा के मरीजों के लिये शुरुवाती इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा इसलिये क्योंकि शरीर के प्रत्येक कोशिका में टेस्ट रिसेप्टर होते हैं। इस कारण से अटैक के समय ब्लैक टी का कड़वा स्वाद, मसल्स को फैला देता है जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।
काली चाय बॉडी में बैक्टीरिया को पनपने से रोकती है। इस में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट और अन्य फ़िएंट्रिएन्ट्स में एंटीबायोटिक गुण होते हैं। जिससे शरीर में बैक्टीरिया संक्रमण को ठीक किया जा सकता है।
काली चाय में अमीनो एसिड एल-थेनीन होता है जो एकाग्रता का निर्माण करने में मदद करता है, मानसिक सतर्कता में सुधार करता है और आपकी स्मृति को बढ़ाता है यह तनाव का स्तर भी कम करता है और आपको आराम करने में मदद करता है।
काली चाय के सेवन से अल्जाइमर रोग के खतरों को कम किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने इसके बारे में अध्ययन किया जिसमें उन्होंने पाया है कि जो कुछ हानिकारक प्रोटीन के कारण न्यूरॉन्स पर अटैक किया जाता है। जिससे अल्जाइमर की बीमारी से बचा जा सकता है।
काली चाय दांतो में प्लॉक के बनने से रोकती है। साथ ही ब्लैक टी का सेवन बैक्टीरिया के विकास को रोकता है। ये बैक्टीरिया कैविटी और दांतों के सड़ने का कारण बनते हैं। काली चाय में फ्लोराइड भरपूर मात्रा में होता है जो मुँह की दुर्गन्ध को दूर करता है और मुँह को नुकसानदायक जीवाणुओं से बचाता है।
काली चाय के सेवन से सिर में होने वाले दर्द को रोका जा सकता है। इसके सेवन से तनाव कम होता हैं और याददाश्त को बढ़ाने में भी मदद करती हैं। जिससे दिमाग सतर्क रहता है।
काली चाय में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को निकालने में मददगार होते हैं। इस वजह से, उम्र बढ़ने के संकेत जल्द ही नहीं होते हैं।
अगर आप भी ज्यादा पसीने और सांसों की बदबू से परेशान हैं, तो ब्लैक टी पीना आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा। यह बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता है, जिसकी वजह से पसीने से बदबू नहीं आती है।