किस शासक के पास एक शक्तिशाली नौसेना थी?
कल ४ दिसंबर को नौसेना दिवस था भारत मे छत्रपति महाराजा शिवाजी को नौसेना का जनक कहा जाता है क्योंकि मध्ययुगीन भारत में महाराजा शिवाजी पहले राजा थे, जिन्होंने नौसेना का महत्व देखकर उसका निर्माण किया।
इस विषय में उनकी दृष्टि इतनी पैनी थी कि उन्होंने आदेश दिए थे कि विदेशी साहूकार-व्यापारी उदाहरणार्थ फिरंगी, फरांशिस, वलंदेज, डिंगमार (आधुनिक अँगरेज, फ्रांसीसी, हॉलैंडवासी, डेनमार्कवासी) इत्यादि को समुद्र तट पर स्थान न दिया जाए। देना ही हो, तो तट से दूर, भूमि पर स्थान देकर, इन्हें कड़ी निगरानी में रखा जाए, क्योंकि तट पर रहकर ये अन्य से मिल राज्य के लिए खतरा बन सकते हैं व फिर इन्हें तट से हटाना मुश्किल होता है।
महाराजा शिवाजी ने नौसेना निर्माण व उसके नित्य कार्य में यह ध्यान रखा था कि राज्यकार्य संपन्न होते समय प्रजा को रंचमात्र दुःख न हो। यह प्रशासकीय नीति उनकी दूरदर्शिता व लोककल्याण मनोवृत्ति का प्रतीक है।
महाराजा शिवाजी की नौसैनिक दूरदर्शिता अत्यंत श्रेष्ठ स्तर की थी। उन्होंने महाराष्ट्र तट पर विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग, स्वर्णदुर्ग व पद्मदुर्ग जैसे महत्वपूर्ण जलदुर्गों का निर्माण करके अपने नौसैनिक प्रतिस्पर्धी विदेशियों जैसे जंजीरा के सिद्दी, पुर्तगाली व विशेषतः अँगरेजों को नियंत्रण में रखा जो (अँगरेज), सिद्दीयों को खुले व छुपे रूप से महाराजा शिवाजी के विरुद्ध सहायता देते थे।
अंततः महाराजा शिवाजी ने अँगरेजों का राजापुर (महाराष्ट्र) स्थित केंद्र नष्ट कर दिया (1661)। महराजा शिवाजी की नौसैनिक परंपरा में ही मराठों ने आगे सशक्त नौसेना का निर्माण किया जिसके पराक्रमी नौसेनाध्यक्ष/ सेनापति (दर्यासारंग) कान्होजी आंग्रे थे, जिनकी समुद्र पर इतनी धाक थी कि अँगरेज समुद्र पर मराठों से दूर ही रहते थे। वीर कान्होजी आंग्रे को सम्मानित करने हेतु भारतीय नौसेना का एक पोत, ‘कान्होजी आंग्रे’ भी है। यह स्थिति महाराजा शिवाजी के बाद भी थी, जिसका श्रेय महाराजा शिवाजी को है।