कैसे हुई थी कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी की मृत्यु? जानें

महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था, जिसमें दुर्योधन, कर्ण समेत सभी कौरव और पांडवों की ओर से अभिमन्यु समेत कई योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे। पांडवों को हस्तिनापुर का राज्य मिल गया, वे शासन करने लगे। क्या आपको पता है कि पांडवों की माता कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी की मृत्यु कैसे हुई? महाभारत के युद्ध का हाल बताने वाले संजय के साथ क्या हुआ? आइए जानते हैं इसके बारे में- पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के करीब 15 साल बाद कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी हस्तिनापुर छोड़कर वन जाने का निर्णय लेते हैं। उनके साथ ही कुंती भी वन प्रस्थान करती हैं।

इन तीनों के साथ संजय भी होते हैं। ये सभी वन में तपस्या कर अपने पापों से मुक्ति के लिए ऐसा निर्णय लेते हैं। वे एक वन में जाकर कुटिया बनाते हैं और वहीं र​हते हैं। प्रतिदिन सुबह और शाम को भगवान की आराधना में समय व्यतीत करते हैं। ऐसा करते हुए उनको करीब 3 वर्ष हो जाते हैं।एक दिन धृतराष्ट्र स्नान के लिए नदी की ओर जाते हैं, तभी वन में आग लग जाती है।

भयावह दानावल देखकर संजय, गांधारी और कुती डर भयभीत हो जाते हैं और कुटिया को छोड़कर धृतराष्ट्र के पास जाते हैं, ताकि उनकी भी खोज-खबर मिल जाए।वे तीनों धृतराष्ट्र के पास पहुंचते हैं। वे कुशल होते हैं। संजय तीनों को वन छोड़कर जाने की सलाह देते हैं। इस पर धृतराष्ट्र कहते हैं कि अब यह समय भागने का नहीं है, यह हमारे पापों के प्रायश्चित का समय है, ताकि उनको अब मोक्ष मिल जाए। संजय को छोड़कर सभी अपने प्राण त्यागने का प्रण लेते हैं।

इसके बाद वे एक स्थान पर बैठकर समाधि में लीन हो जाते हैं। संजय वहां से तीनों को छोड़कर हिमालय की तरफ चले जाते हैं। उधर दानावल में कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी अपने प्राण त्याग देते हैं, शरीर जलकर राख हो जाता है। संजय हिमालय में तपस्या करते हैं और नारद जी पांडवों को उनके परिजनों से साथ हुई घटना की सूचना देते हैं।

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