क्या अप्सराएं वास्तव में होती हैं? जानिए

हम सभी अपने पौराणिक कहानियों मे स्वर्ग की अप्सराओं के बारे मे सुनते अथवा पढ़ते आए है

कहा जाता है की दवराज इन्द्र की शोभा सुंदर अप्सराओं से सुशोभित होती है इनका प्रमुख कार्य नर्तयसंगीत कला से सभी देवताओं का मनोरंजन करना था परंतु जब भी किसी ऋषि का ब्रह्मचर्य या तपस्या भग्न करनी होती थी .

तो इन्हीं सुंदर अप्सराओं के नयन कटाक्षों का उपयोग देवराज इन्द्र इन अप्सराओं से कराते थे जिनमे वह अक्षर सफल भी रही एसा इसलिए कीया जाता था की इन्द्र हमेशा अपने स्वर्ग के राज्य के छिन जाने के भय से भयभीत रहते थे शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं प्रमुख सेविका थीं।

11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रम्भा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्तमा। इन सभी अप्सराओं की प्रधान अप्सरा रम्भा थीं।परंतु सबसे सुंदर उर्वसी थी

एक मान्यता के अनुसार अप्सराओं की संख्या 108 या 1008 मानी जाति है

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