क्या लडकियो को पितृ दोष नही लगता,जानिए

पहले जान लेते है पितृ दोष होता क्या है, और क्यों होता है। कुछ लोगो का कहना है अपने पूर्वजों का अंतिम संस्कार ठीक से न करने, श्राद्ध न करने , पूर्वजो की दुर्गति करने, अवज्ञा से पितृ दोष होता है। अब प्रश्न ये है कि ये सब उस नवजात बालक ने तो नहीं किया होगा जिसकी कुंडली में पितृ दोष है, तो उसकी कुंडली में ये दोष क्यों? कुंडली तो प्रारब्ध दिखाती है जो पूर्व जन्मों के पाप और पुण्य से होते है, फिर पितृ दोष क्या पूर्व जन्म का है?

जी हाँ, पितृ दोष उसी बालक की पूर्व जन्म के कुछ कर्मो का फल है। इसका अर्थ ये हुआ की वह आत्मा पितृ लोक से आयी है, और संभवतः उसी परिवार के किसी पूर्वज की है। तो यहाँ कर्म के नियम का प्रत्यक्ष उदाहरण होता है। जिसने पाप किये, उसी को उसी परिवार में जन्म दे कर, वह भी पितृ दोष के साथ।

पितृ दोष आत्मा से सम्बंधित है, इसीलिये सूर्य से भी सम्बंधित है। सूर्य अगर शनि , राहु, अथवा केतु से बाधित हो तो पितृ दोष होता है। इसका सम्बन्ध अगर लग्न, पंचम या नवम भाव से हो तो ऐसी आत्मा को पितृ लोक से आयी हुयी मानते है। लग्न, पंचम और नवम ही क्यों? क्योंकि लग्न से पंचम आपका पुत्र, नवम आपके पिता, पंचम भाव नवम से नवम भी होता है अर्थात आपके दादा, तो ये तीनो भाव एक तरह से आपके खानदान के सूचक है। इन्ही भावो से संचित कर्म, आगामी कर्म, और प्रारब्ध का भी बोध होता है।

तो क्या स्त्रियों में पितृ दोष होता है? नियम की माने तो होता है, क्योंकि नियम में स्त्री पुरुष का भेद नहीं बताया गया। पर क्या होना चाहिए? मान लेते है किसी स्त्री ने अपने पूर्वजों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया ( अगर शास्त्रों के अनुसार एहि पितृ दोष का कारण है तो), तो उसके अगले जन्म में उसके प्रतिफल उससे मिलने चाहिए। ऐसे में उसका अगला जन्म कहाँ होना चाहिए? अपने ही बेटे के घर या कहीं और? अगर अपने बेटे के घर हुआ तो वह तो उस घर की बेटी हो जायेगी, और देश काल पात्र के अनुसार विवाह के बाद दुसरे घर चली जायेगी। ऐसे में उसको प्रतिफल कहाँ मिले। अगर वह किसी दुसरे घर में जन्मे और फिर अपने पुराने घर में शादी करके आये तो? तब शायद हो सकता है। ( यह सब काल्पनिक है ताकि हम देश काल पात्र के अनुसार समझ सके, इसका कर्म सिद्धान्त से कोई सीधा मेल नहीं है, क्योंकि वह तो ईश्वर तय करता है हम मनुष्य नहीं)।

इसका मतलब स्त्री की आत्मा कम से कम पितृ दोष के कारण तो पितृ लोक से नहीं आएगी, मातृ ऋण या स्त्री ऋण से आ सकती है। तो फिर अगर किसी लड़की की कुंडली में सूर्य राहु के साथ पंचम भाव में हुआ तो? तो उसके पति के वंश वृद्धि में परेशानी आए, या उसकी संतान क्रूर स्वभाव की होगी। इससे शायद उसको उसके वृद्ध अवस्था में कोई सँभालने वाला न हो। तो ये तो पितृ दोष फलित हो गया। इसका मतलब पितृ दोष तो दोनों ही की कुंडली में प्रतिफलित होता है।

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