क्यों अपने पास होते हुए भी माता सीता को रावण छू तक नहीं पाया था? जानिए वजह

रावण जानता था कि,सीता महालक्ष्मी का अवतार हैं। उसने माता सीता को कभी भी वासना की दृष्टि से नहीं देखा था।तरह तरह की कहानियों में सच्चाई छिप जाती है।मूवी और सीरियल से ज्ञानवृद्धि नहीं होती है मनोरंजन होता है। ज्ञानवृद्धि स्वाध्याय करने से होती है।

रावण ने सीता हरण के समय भी माता सीता का स्पर्श नहीं किया था उन्हें पर्ण कुटी सहित अपने पुष्पक विमान में बिठाकर लंका ले गया था क्योंकि रावण को शाप मिला था कि,किसी भी पराई स्त्री को उसकी मर्जी के बिना काम भावना से छूने पर उसका सिर फट जायेगा। लंका लाने के बाद रावण ने माता सीता को पर्णकुटी सहित अशोक वाटिका में उतारा और रक्खा।

दिन में माता सीता अशोक वृक्ष के नीचे बैठती थीं और रात्रि में राम और लक्ष्मण द्वारा निर्मित पर्णकुटी में विश्राम करती थीं। रावण जानता था कि,माता सीता लंका के किसी महल के अन्दर निवास नहीं करेंगी अतः उन्हें पर्णकुटी सहित उठा लाया था। माता सीता रावण से ज्यादा शक्तिशाली थीं।वह चाहतीं तो वह रावण की तरफ देखकर उसे भष्म कर सकती थीं किन्तु रावण की मृत्यु राम के हाथो होनी थी,इसलिए माता ने रावण के अपराधों की उसे सजा नहीं दी। रावण बार बार अशोक वाटिका में जा कर माता से आग्रह करता था कि एक बार विलोकु मम ओरा।लेकिन माता उसे तृण धरि ओट कहत वैदेही।

तृण की ओट लेकर रावण से वार्ता करती थीं माता क्योंकि वह उसे देख लेती तो वह भष्म हो जाता। जय जय सियाराम ।

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