चीन के लोग कीड़े-मकौड़े जैसे सांप, बिच्छू इत्यादि चीजें खाते हैं, ऐसा क्यों? जानिए वजह

अकाल में लोग मरने लगे तो चीन की वामपंथी सरकार ने गाँव-गांव में मुनादी करानी शुरू कर दी कि लोग मांसाहार करें। लेकिन हालत ये थी कि जानवर पहले ही मर चुके थे। कुल मिलाकर चूहे, चमगादड़, कीड़े-मकोड़े, कॉक्रोच ही बचे थे। नतीजा हुआ कि लोगों ने इन्हें ही खाना शुरू कर दिया।

कहते हैं कि कई लोग भूख से मरने वालों का मांस भी खा जाया करते थे, ताकि ज़िंदा रह सकें। कहते हैं कि हज़ारों लोगों को ज़िंदा मारकर खाने की घटनाएँ भी हुईं। चीनी पत्रकार याग जिशेंग ने इस मानवीय त्रासदी पर ‘टूमस्टोन’ (Tombstone) नाम से किताब भी लिखी है। जिसमें उन्होंने 3.6 करोड़ के मरने का अनुमान लगाया है। उनकी किताब पर चीन में इस कदर पाबंदी है कि अगर किसी के पास इसका डिजिटल एडिशन भी मिल जाए तो उसे जेल में डाल दिया जाता है।

चीन के इतिहास के सबसे बड़े अकाल में 4.5 करोड़ लोगों के मारे जाने का अनुमान।

तबाही के बाद कॉमरेड की खुली आँखें

करोड़ों लोगों की मौत के बाद चीन के सुप्रीम लीडर माओ जेडॉन्ग ने गौरैया मारने के अपने हुक्म को वापस ले लिया। हालाँकि उसने गलती नहीं मानी। बल्कि ये कहा कि गौरैया को माफ़ी दी जा रही है और अब उनकी जगह खटमल (Bed Bugs) को मारा जाए। इसके कुछ साल बाद चीन में हालात बेहतर हुए। लेकिन खान-पान की आदतें बनी रहीं। तब से अब तक चीन में चूहे, चमगादड़, कुत्ते, कीड़े और यहां तक कि चीटियां खाने में इस्तेमाल होती हैं। यही कारण है कि जानवरों से इंसानों में वायरस के संक्रमण के ज्यादातर मामले चीन से ही शुरू होते हैं और आज चीन की पहचान दुनिया के सबसे बड़े वायरस सप्लायर देश के तौर पर बन चुकी है।

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