जब आत्मा शरीर से जाती है, तो उसके साथ और क्या क्या जाता है शरीर से???

मौत एक ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता है, चाहे भिखारी और या अम्बानी सबको एक न एक दिन मरना पड़ता है! गर्भ में पांच महीने का होने पर उसमे चेतना (आत्मा) आती है वो कौन डालता है कैसे आती है अभी भी वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए है!

ऐसे सवाल जब मनुष्य को विचलित करते है तो वो धर्म की शरण में भागता है, अगर वो धर्म की शरण में न जाए तो निश्चित ही मौत के डर से आत्महत्या कर लेता है! विदेशो में ज्यादातर आत्महत्याएं इसी कारन से होती है, हो सकता है इसी कारण विदेशी भारतीय अध्यात्म के प्रति इतने आकर्षित होते है!

जो सवाल हमने किया है उसका जवाब भी अध्यात्म में ही छुपा हुआ है, सनातन धर्म में ही इसका जवाब मौजूद है! सनातन धर्म पुनर्जन्म (84 तरह के शरीर) की बात करता है, कई धर्म पुनर जन्म को नहीं मानते लेकिन जब उनके धर्म के ही किसी का पुनर जन्म का उदहारण सामने आता है तो उनसे जवाब देने नहीं बनता है!

पुनरजन्म के चलते लोग इस जन्म में खुद को सांत्वना दे देते हैकि अगले जन्म में में मुक्ति पा लूंगा, इसके चलते (पुनर जन्म को नहीं मानते) ये एक विशेष कारन हो सकता है! वेदो में शास्त्रों में इस भेद का उल्लेख है लेकिन श्रीमद भगवत गीता में इसे अच्छे से समझाया गया है!

जब आत्मा शरीर से निकलती है तो उसके साथ पांचो इन्द्रिय, मन और बुद्धि भी निकल जाती है और अगले जन्म में जो भी शरीर मिलता है उसमे ये सभी जाते है! अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलेंगे जिससे आप पूर्व जन्म में भी मिल चुके है तो आप ये सच महसूस कर सकेंगे!

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