जानिए आखिर क्या मांस का सेवन करना पाप है, अगर है तो कैसे?

क्या आप मानते हैं ईश्वर हर जीवों के पिता हैं यदि हां तो निश्चित रूप से एक संतान जब दूसरी संतान को किसी भी तरह का कष्ट देते हैं तो परमपिता परमेश्वर उससे नाराज होते हैं. कभी प्रयोग करके देखिएगा, अपने भाई या बहन को अकारण कष्ट दीजिए फिर आपके माता पिता आपसे नाराज होंगे. ये सामान्य सा सैद्धांतिक बात है. वैज्ञानिक ढंग से भी यदि आप अवलोकन करेंगे तो पाएंगे कि मनुष्य उन मांसाहारी जीवों से अलग हैं. वो लपलपा करके पानी पीते हैं, उनके पास अलग तरह के दांत होते हैं.

यदि दार्शनिक दृष्टिकोण से सोचें तो हम पाएंगे कि इस पूरी दुनिया में जो भी हो रहा है, जो हुआ है या फिर जो होगा ईश्वर की मर्जी से ही होगा. उस परिस्थिति में भी हमें बुद्धि के उपयोग करने में स्वतंत्रता दी गई है इसलिए हमें अपने विवेक का उपयोग करते हुए किसी भी जीव को अकारण कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए, मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. वैष्णव लहसुन – प्याज से भी परहेज करने को कहते हैं तो फिर मांस को उचित कैसे ठहराया जा सकता है.

इतना सब के बावजूद कुछ संतों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो मांस का सेवन करते थे जैसे राम कृष्ण परमहंस. मैं ऐसे दिव्य पुरूष के बारे में कुछ नहीं कह सकता क्योंकि मुझे इसके उत्तर की तलाश है. मैंने शास्त्रों में पढ़ा है कि दया धर्म का मूल है, यदि ऐसा है तो फिर किसी भी हालत में किसी भी जीव को मारकर खाना या उसकी मृत्यु का कारण बनना कम से कम दया की श्रेणी में तो नहीं आ सकता फिर धर्म की श्रेणी में कैसे आ सकता है और यदि ये धर्म नहीं है तो निश्चित रूप से पाप है.

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