जानिए आखिर युवाओं को सरकारी नौकरी ही क्यों चाहिए?

सरकारी नौकरियां ‘कल्याण’ की विचारधारा पर जोर देती हैं जिससे उसमें सभी जातियों, विविध आर्थिक स्थितियों, दिव्यांग जनों सबके लिए एक जैसे अवसर होते हैं।

कम शैक्षिक योग्यता वाले पदों पर भी बेहतरीन तनख्वाह और अच्छी जीवनशैली देती हैं। गैर सरकारी और सरकारी क्षेत्रों के चपरासियों की तनख्वाह देखिये।

महानगरों को छोड़ दिया जाय तो मझले और छोटे शहरों में निजी नौकरियां विकल्प के तौर पर उपलब्ध ही नहीं है और न ही इतनी पूंजी है कि अच्छी जीवनशैली मिले। अखबारों और मिलिट्री वाले भैया की कृपा से सरकारी नौकरी ही एकमात्र विकल्प बचती है।

अपनी सामाजिक कंडीशनिंग ऐसी है कि जॉब सिर्फ जॉब नहीं बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रश्न है। किसी सरकारी नौकरी में चयन होने पर आप गली मोहल्ले के बिना पालकी वाले राजा होते हैं।

लड़कियों के पिताओं को सरकारी नौकरी वाले दामाद बड़े आकर्षित करते हैं जिसके लिए वे जमीन गिरवी रख कर भी दहेज देने को तैयार रहते हैं। कौन लड़का अपनी ऐसी इज्जत नहीं देखना चाहेगा?

कई निजी कंपनियां प्रीमियर कॉलेज वालों को ही अच्छी तनख्वाह और प्लेसमेंट देती हैं जबकि सरकारी क्षेत्र की नौकरियों के आवेदन में औसत कॉलेज वाले के लिए भी खुले अवसर मिलते हैं। सरकारी नौकरी कॉलेज प्रवेश के समय की गई लापरवाहियों को ढंकने अच्छा तरीका है।

सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के बाद ‘अप्रेजल’ जैसे कड़े नियम नहीं हैं और जो हैं भी वे ढुलमुल तरीके से ढोये जा रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप अक्सर सरकारी अफसरों की लापरवाही की खबरें आती हैं। आराम तो हर कोई चाहेगा ही ?

रोजगार समाचारपत्र जैसे माध्यमों में सरकारी क्षेत्र की नौकरियों के बारे में ही विज्ञापन आते हैं।

सरकारी नौकरी की तैयारी इतनी जटिल और मेहनत वाली प्रक्रिया है कि नौकरी मिलने के बाद ऐसा लगता है जैसे पुनर्जन्म सा हुआ हो। तमाम धक्के औऱ सामाजिक तानों के बाद व्यक्तिगत तौर पर इंसान मजबूत होता है।

फन फैक्ट:

  • सरकारी नौकरी की तैयारी के दौरान 0.9 की प्रायिकता के साथ ऐसे लोग मिलते हैं जिनकी नजर में यह समय और जवानी की बर्बादी है- “ऐसा कर लिए होते तो वैसा होता”। जबकि वास्तविकता ये है कि वे या तो खुद पेंशन का लुत्फ उठा रहे हैं या अपने बच्चों को 10वीं से ही सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करवा रहे हैं। 9 से 10 तक पहुंचना काफी आसान है लेकिन 0 से 10 तक पहुंचने में संघर्ष तो करना ही पड़ेगा।

यह उत्तर पढ़ने के बाद जो नहीं करना है:

  • यह निष्कर्ष नहीं निकालना है कि निजी क्षेत्र और स्व व्यवसाय में भविष्य नहीं है।
  • यह भी नहीं कि सरकारी नौकरी ही जिंदगी है और सरकार नौकरी वाले लोग भगवान हैं।

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