जानिए दुर्लभ रोगों के लिये क्राउडफंडिंग क्या है और आपको इससे क्या लाभ मिलेगा?
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक एक दुर्लभ रोग से पीड़ित दो बच्चों की सहायता के लिये क्राउडफंडिंग की संभावना का पता लगाने का आदेश दिया है।
प्रमुख बिंदुसंबंधित संवैधानिक प्रावधान
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार’ एक मौलिक अधिकार है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत ‘जीवन के अधिकार’ का एक हिस्सा माना है।
समाज और प्राधिकरण के लिये निर्देश
उच्च न्यायालय ने समाज और मुख्य तौर पर प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसे दुर्लभ रोगों से पीड़ित बच्चों के जीवन से किसी भी प्रकार का समझौता न किया जाए, भले ही उनके जीवित रहने की संभावना अथवा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार की संभावना कम ही क्यों न हो।
न्यायालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह जल्द-से-जल्द दुर्लभ रोगों के लिये मसौदा स्वास्थ्य नीति, 2020 के कार्यान्वयन को अंतिम रूप दे। ज्ञात हो कि इस मसौदे में उच्च लागत वाले दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये क्राउडफंडिंग से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
क्राउडफंडिंग का अर्थ
क्राउडफंडिंग का आशय बड़ी संख्या में व्यक्तिगत निवेशकों/दानदाताओं के सामूहिक प्रयास से पूंजी जुटाने की एक विधि से है।
क्राउडफंडिंग के बारे लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे- सोशल मीडिया और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म आदि का उपयोग किया जाता है, परिणामतः धन इकट्ठा करने के पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक दाताओं तक पहुँच प्राप्त होती है।
प्रकार
दान-आधारित क्राउडफंडिंग: यह धनराशि एकत्रित करने की वह विधि है, जिसमें बड़ी संख्या में योगदानकर्त्ताओं को व्यक्तिगत रूप से एक छोटी राशि दान करने के लिये कहा जाता है। इसमें योगदानकर्त्ताओं को टोकन रिवॉर्ड दिया जाता है और इसके तहत बहुत कम धनराशि एकत्र होने की संभावना होती है।
पुरस्कार-आधारित क्राउडफंडिंग: पुरस्कार-आधारित क्राउडफंडिंग के तहत दी गई राशि के बदले योगदान करने वाले को ‘रिवॉर्ड’ दिया जाता है, जो कि प्रायः किसी उत्पाद अथवा सेवा के रूप में हो सकता है। यद्यपि इस विधि के तहत योगदानकर्त्ताओं को पुरस्कार प्रदान किया जाता है, किंतु इसके बावजूद इस विधि को दान-आधारित क्राउडफंडिंग का ही एक हिस्सा माना जाता है, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का वित्तीय रिटर्न शामिल नहीं होता है।
इक्विटी-आधारित क्राउडफंडिंग: इस विधि के तहत निवेश के बदले एक व्यवसाय में कई निवेशकों को हिस्सेदारी बेची जाती है। यह स्टॉक एक्सचेंज या उद्यम पूंजी पर सामान्य स्टॉक को कैसे खरीदा या बेचा जाता है, के विचार के सामान है। इक्विटी मालिकों के रूप में योगदानकर्त्ताओं को अपने निवेश पर वित्तीय रिटर्न और अंततः लाभांश प्राप्त होता है।
लाभ
विशाल नेटवर्क: सोशल मीडिया और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के विशाल नेटवर्क का उपयोग कर हज़ारों निवेशकों और दानदाताओं तक आसानी से पहुँचा जा सकता है तथा उन्हें अपने अभियान के बारे में सूचित किया जा सकता है।
प्रस्तुतिकरण: क्राउडफंडिंग संबंधी अभियान के माध्यम से कंपनी के इतिहास, उसके प्राथमिक कार्य, बाज़ार और बाज़ार मूल्य के बारे में आसानी से लोगों को समझाया जा सकता है।
विचार को मान्यता: क्राउडफंडिंग के माध्यम से किसी अवधारणा अथवा विचार को आम जनता के सामने प्रस्तुत किया जाने से उसे लेकर आम जनता के बीच बनी राय को आसानी से परखा जा सकता है।
कार्यक्षमता: क्राउडफंडिंग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विधि धन एकत्रित करने के प्रयासों को केंद्रीकृत और कार्यकुशल बना देती है।
दुर्लभ रोग
दुर्लभ रोग उस स्वास्थ्य स्थिति को इंगित करता है, जिसका प्रसार अन्य बीमारी या रोगों की तुलना में कम होता है तथा जो सामान्य आबादी में अन्य प्रचलित बीमारियों की तुलना में बहुत कम लोगों को प्रभावित करती है।
हालाँकि, दुर्लभ रोगों की कोई सार्वभौमिक स्वीकृत परिभाषा नहीं है तथा विभिन्न देशों में इसकी परिभाषा आमतौर पर भिन्न-भिन्न होती है।
80 प्रतिशत दुर्लभ बीमारियाँ आनुवंशिक होती हैं और इसलिये बच्चों पर इनका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
भारत में लगभग 56-72 मिलियन लोग दुर्लभ रोगों से प्रभावित हैं।