जैसे अंग्रेजों से आजादी मिली,वैसे ही मुग़लों से क्यों नहीं मिली? जानिए वजह

आपका आकलन गलत हो सकता है. मुग़लों से भी उसी तरह आजादी छीन ली थी भारतीय हिंदू और मुस्लिम राजा नवाबों ने. ज़िस समय अंग्रेज भारत मैं प्रबल हुए वह समय लगभग 1757 का था और मुग़ल बादशाह शाह आलम बंगाल के नवाब और अवध के नवाब के साथ मिलकर अंग्रेजों से युद्ध लड़कर हार गया था प्लासी मैं. इससमय भारत मैं अधिकतर भूभाग हिंदू राजसन के पास था. पुरा राजपुताना राजपूतों के पास था.

दिल्ली के बाहर तक भरतपुर का राज था जिसमे हरयाणा से लेकर फ़िरोज़ाबाद आगरा तक गंगा जमुना का दोआब शामिल था. अवध मैं शिया नवाब थे, दककन मैं मराठे बलशाली थे. स्वतंत्र थे और इनसे मुग़ल तथा हैदराबाद का नवाब जिसे निज़ाम कहते थे डरता था. भोपाल के नवाब भी आज़ाद थे. मुग़लों का अधिकार लाल किले मैं ही रह गया था. कहावत भी है कि

शाहे आलम, लाल किले से पालम.

बंगाल मैं नवाब सिराज उड़फोला के खिलाफ अंग्रेज षणयंत्र कर ही रहे थे. उसके सेनापति मीर ज़ाफ़र फिर उसके सेनापति मीर कासीम को लालच देकर अपने साथ मिला रहे थे. दककन मैं भी अंग्रेजो को हकूमत हिंदू राजाओं से मिली. मैसूर मैं हैदराबाद अली टीपू को हराकर अंग्रेज हवि हुए. मध्य भारत मैं मराठे मज़बूत थे जैसे बुंदेलखंड मैं, मालवा मैं इंदौर ग्वालियर नागपुर सोलापुर आदि मैं. जितना क्षेत्र अंग्रेजों ने मुसलमानो से लिया उतना ही या अधिक हिन्दुओं से लिया और इसको भारत बनाकर एक क्या नहीं तो पहले रियासते थी भारत न था बस एक नाम था.

बस इतना अंतर था कि अंग्रेजों से आजादी लेने के समय सभी प्रांतों के भारतीय भारतीय थे सबका एक उद्देश्य था कि भारत आज़ाद करना है और मुग़लों के समय उद्देश्य अलग था कि राजपूत राज्य स्थपित करना है मराठों को या जाटों को रियासत बनानी है. सब अपने अपने लिए लड़े लेकिन अंग्रेजो से सब भारत के लिए लड़े और जितने पर भारत बना तथा मुसलन्सनो के लिए पाकिस्तान बना वह भी मुसलमान कि चालाकी से क्योंकि वे काफिरों से अलग मुल्क पाक बनाना चाहते थे और अंग्रेज इनको समर्थन दें रहे थे जिससे भारत कमजोर हो जय. अतः बटवारा कर दिया. अंग्रेजों ने आजादी के डमी अपनी सुरक्षा मज़बूत राखी और जनता को जिसका बटवारा हुआ मरने के लिए छोड़ दिया और नेहरू जिन्ना या कांग्रेस मुस्लिम लीग राज्य के बटवारे मैं मस्त रही और उपदेश देने मैं लगे रहे गांधीजी. जनता आपस मैं लड़कर मर गयी लुटेरों ने खूब लुटा कमजोर दिन हीन असहाय बेसहारे लोग मारे गए बॉर्डर के दोनो तरफ .

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