जौहर और सती स्थिति में क्या अंतर है? जानिए
सती प्रथा
सनातन धर्म यानि हिंदू धर्म जिसमें कई तरह की जातियां, जनजातियां हैं। किसी भी धर्म में रीति रिवाज, समाज को जोड़ने के लिए बनाए गए। हिंदू धर्म में भी ऐसे कई रिवाज हैं जिनका जन्म समाज की कुरीतियों को मिटाने और मनुष्य में भाईचारा बढ़ाने के लिए किया गया लेकिन क्या आप जानते हैं कि सती प्रथा जैसी कोई भी प्रथा हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं है। हिंदू धर्म के चारों वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में भी स्त्री को सती करने की प्रथा का कहीं जिक्र तक नहीं है।
सती एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है वो स्त्री जो सिर्फ अपने पति की है। वो पत्नी जो पतिव्रता है और उसका अपने पति के अलग किसी गैर पुरुष से संबंध नहीं है लेकिन एक ऐसा भी समय था जबकि भारतीय समाज में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को अपनी पवित्रता और प्रेम साबित करने के लिए पति की चिता के साथ ही जिंदा जला दिया जाता था। कई स्त्रियां इसे प्रेम से करती थीं लेकिन कई स्त्रियों को सिर्फ प्रथा के नाम पर आग में जिंदा जलने के लिए झोंक दिया जाता था। उनकी चीखें, दर्द सब कुछ इस प्रथा की आड़ में छिप जाते थे।
जौहर प्रथा
जौहर पुराने समय में भारत में राजपूत स्त्रियों द्वारा की जाने वाली क्रिया थी। जब युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी तो पुरुष मृत्युपर्यन्त युद्ध हेतु तैयार होकर वीरगति प्राप्त करने निकल जाते थे तथा स्त्रियाँ जौहर कर लेती थीं अर्थात जौहर कुंड में आग लगाकर खुद भी उसमें कूद जाती थी।