ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गण का क्या मतलब होता है, यदि किसी व्यक्ति का गण राक्षस है तो इसका क्या मतलब है, क्या उसका व्यवहार राक्षसी प्रवृत्ति का होगा?
- 3 गुण होते हैं
- राक्षस गण
- मनुष्य गण
- और देव गण
गणों की सबसे ज्यादा आवश्यकता विवाह मिलान के समय पड़ती है
- प्रत्येक मनुष्य को गण के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है
- देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण।
- गण के आधार पर मनुष्य का स्वभाव और उसका चरित्र बताया गया है।
- जन्म के समय मौजूद नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति का गण निर्धारित होता है।
- राक्षस गण
- वाले लोग नकारात्मक चीजों को बहुत जल्दी पहचान लेते हैं
- सिक्स सेंस यानि छठी इंद्री काफी तेज होती है
- निडर साहसी , कठोर वचन बोलने वाले
- हर परिस्थिति का डटकर सामना करने वाले होते हैं
- राक्षस गण को देव गण से शादी नहीं करना चाहिए क्योंकि स्वभाव में ज्यादा अंतर होने की वजह से तालमेल नहीं बैठ पाता
आपके अनुरोध पर बाकी दोनों गणों के बारे में जानकारी इस प्रकार है
देवगण में पैदा होने होने का फल
दानी, सरल हृदय, विचारों में श्रेष्ठ होता है।
देवगण में जन्म लेने वाले जातक आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं।
ये जातक स्वभाव से सरल और सीधे होते हैं।
दूसरों के प्रति दया का भाव रखना और दूसरों की सहायता करना इन्हें अच्छा लगता है।
जरूरतमंदों की मदद करने के लिए इस गण वाले जातक तत्पर रहते हैं।
मनुष्य गण में पैदा होने होने का फल
परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता कम होती है।
ऐसे जातक किसी समस्या या नकारात्मक स्थिति में शीघ्र ही भयभीत हो जाते हैं
अपनी बुद्धि से अपना कार्य करवाने की दक्षता रखते हैं
मनुष्य स्वभाव + संगत के कारण कभी देवता तो कभी दानव के गुण इन में देखे जाते हैं , यह जानकारी ग्रह नक्षत्र ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय प्रयागराज की पुस्तक कैसे आए घर में सुख समृद्धि से पढ़कर लिखी गई है, सभी का आभार प्रकट करता हूं