ट्रैक्टर के पिछले पहिये बड़े क्यों होते हैं? जानिए

ट्रैक्टर के पिछले पहिये बड़े होने का कारण समझने के पहले यह समझना जरुरी है कि ट्रैक्टर आखिर है क्या और यह अन्य सड़क वाहनों से कैसे अलग है .

ट्रैक्टर – ट्रैक्शन शब्द से बना है – जिसका अर्थ है खींचना .

ज्यादा खींचने के लिए – कोई जरुरी नहीं है कि – इंजन ही ज्यादा शक्तिशाली हो – गियर और वाहन के वजन वितरण में बदलाव कर भी यह किया जा सकता है .

आम तौर पर लोगों में बड़ी गलतफहमी है कि – ट्रैक्टर का इंजन बहुत शक्तिशाली होता है – पर ऐसी बात नहीं है . एक आम कार का इंजन – ज्यादातर ट्रैक्टर के इंजन से ज्यादा powerful होता है

इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं

बलेनो कार [1] को हम जॉन डेरे के ट्रैक्टर मॉडल 5055 E [2] से तुलना करेंगे

_________ बलेनो **_ट्रैक्टर

इंजन हार्सपावर : ____90 _____55
टॉर्क : (न्यूटन -मीटर) _130 ____165
RPM :_____________4000 __2400
गियरों की संख्या: _____5 _______9
स्पीड अनुपात _______4.3 _____175
स्पीड :किलोमीटर/घंटा : 185_____32
इस तुलना में हम देखते हैं कि , ट्रैक्टर की शक्ति – कार के इंजन का मात्र 2 तिहाई है , पर टॉर्क ( पहिया घुमाने या खींचने की क्षमता ) डेढ़ गुणा ज्यादा है .

ऐसा कैसे ?

ऐसा इस लिए क्यूंकि – ट्रैक्टर – ज्यादा ट्रैक्शन या टार्क पैदा करता है – अपनी स्पीड की क्षमता गँवा कर जो कि – कार के स्पीड का मात्र छठा भाग है (सबसे नीचे क्रमांक 6 देखें )

इसी लिए ट्रैक्टर में स्पीड घटाने का अनुपात कार की तुलना में 40 गुणा है ( 175 /4.3 )

कोई भी वाहन चाहे वह रोड पर चलने वाला हो या रेल पर चलने वाला इंजन हो – उसके डिज़ाइनर तय करते हैं कि – उसे ज्यादा ट्रैक्शन / टार्क पैदा करना है या ज्यादा स्पीड .

सो एक समान हार्सपावर से ट्रैक्टर भी बना सकते हैं , ट्रक भी या रेसिंग कार भी . उसी तरह एक समान हार्सपावर वाले इंजन से मालगाड़ी का इंजन भी बना सकते हैं जिसकी स्पीड 80 से ज्यादा नहीं होगी पर जो 10,000 टन वजन खींच ले या जिसकी स्पीड 300 किलोमीटर/घंटा हो पर 2500 टन से ज्यादा वजन नहीं खींच पाए .

इस स्थिर शक्ति वक्र का शेप या आकार rectangular hyperbola का होता है।

ऊपर F1.v1 = F2.v2 = F3.v3 = constant स्थिर हार्सपावर

चूँकि Power P = T.n भी होता है ( जहाँ T = टॉर्क और n = घूमने की गति ) , इसीलिए

T1.n1 = T2.n2 = T3.n3 = constant स्थिर हॉर्स पावर

यदि हमें –

ट्रैक्टर चाहिए तो स्थिर शक्ति वक्र के सबसे ऊपरी भाग पर काम करने योग्य गियर बनायेंगे और वैसा ही पहिया लगायेंगे
ट्रक चाहिए तो स्थिर शक्ति वक्र के बीच वाले भाग हेतु डिजाईन करेंगे
कार चाहिये तो स्थिर शक्ति वक्र के सबसे नीचे भाग पर ध्यान रखेंगे जहाँ स्पीड ज़बरदस्त है पर भार खीचने की क्षमता कुछ नहीं .
अब ट्रैक्टर का काम अगर ज्यादा वजन खीचना है तो पहिया भी उसी अनुरूप होगा . आईए देखते हैं कि ट्रैक्टर के पहिये का क्या काम है .

ट्रैक्टर के पहिये के तीन प्रमुख कार्य हैं .

ट्रेक्टर के वजन को ढोना और साथ में लगे उपस्कर ( हार्वेस्टर , मोअर या टिलर इत्यादि ) के वजन और बल को भी ढोना साथ ही गीली जमीन में धंसने से रोकना
जमीन के संपर्क में आ कर समस्त बलों का वहन करना
जमीन को पकड़ के रखना और स्प्रिंग एवं शॉक अब्सोर्बेर का काम करना
पीछे के बड़े पहियों से उपरोक्त कार्य – इस तरह से पूरे होते हैं

बड़े पहिये – ज्यादा ट्रैक्टीव बल – ट्रांसमिट /संप्रेषित कर सकते हैं ( बल X त्रिज्या ) और रोलिंग रेजिस्टेंस (rolling resistance ) [3] कम कर देते हैं
ज्यादा भार वहन क्षमता – जो टायर की ऊँचाई और चौड़ाई एवं हवा के दबाव पर निर्भर करता है

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