“दिल्ली अभी दूर है” किस नेता ने व क्यों कहा? जानिए
“दिल्ली से जुडी एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है “दिल्ली अभी दूर है” जिसका अर्थ होता है “मंज़िल अभी दूर है”। जैसे की हर कहावत, लोकोक्ति या मुहावरे के पीछे कोई न कोई..”
“दिल्ली अभी दूर है….!” ये आज कल राजनितिक ताना बन गया है जो की अमूमन अभी मंजिल दूर है के सन्दर्भ में कहा जाता है. भले ही आप इससे इत्तेफाक रखे न रखे लेकिन असल में ये एक ऐतिहासिक घटना से आई कहावत है जो की आज के समय में पॉपुलर है.
असल में ये एक बहुत ही बड़ी राजनैतिक घटना से ताल्लुक रखने वाली कहावत है, तेरहवी सदी के कुछ दशक बीतने के बाद भारत के दिल्ली में तग़लक़ वंश की हुकूमत थी और उस समय गयासुद्दीन तुगलक सुलतान था. एक कहानी है जो की प्रसिद्ध सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया, उनके शागिर्द अमीर खुसरो और तुगलक से सम्बंधित है.
अजमेर के सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती के शागिर्दो में से एक निमाजुद्दीन औलिया का दिल्ली सल्तन में प्रभाव हुआ करता था. निजामुद्दीन के शागिर्द आमिर खुसरो दिल्ली सल्तन में खुसरो के दरबार में दरबारी थे, गयासुद्दीन खुसरो पर तो प्रभित था लेकिन निजामुद्दीन औलिया से वो खुन्नस खाता था.
जाने सूफी संतो की राजनीतिकी पहुँच के रसूख की ये छोटी से घटना…
सुल्तानों के समय में भी धर्म गुरुओ का ही रसूख चला करता था, ऐसे में गयासुद्दीन निजामुद्दीन जी से घृणा करने लगा था! उसे लगता था की उनके आस पास के लोग उनकी सत्ता के खिलाफ साजिशे रचते है, एक बार गयासुद्दीन दिल्ली से बाहर गया था और वंही से उसने एक सन्देश निजामुद्दीन के लिए भेजा था.
उस सन्देश में लिखा था की “मेरे दिल्ली पहुँचने से पहले पहले निजामुद्दीन शहर छोड़ दे…!” तब औलिया ने भी जवाब भिजवाया जिसमे लिखा था “हनुज दिल्ली दुरस्त…” मतलब दिल्ली अभी दूर है…
गयासुद्दीन के लिए दिल्ली दूर ही रह गई, उसके लिए दिल्ली के रास्ते में लकड़ी का शाही विश्राम बनवाया गया था! उसी रात जब सुलतान उसमे सो रहा था तो वो टूट कर गिर गया और वो भी उसमे ही गिर कर दम तोड़ गया.
इसके मायने हालाँकि पुरे विस्तार से लिखे नहीं है लेकिन समझने में तो ये ही आता है की गयासुद्दीन की हत्या की साजिश रची गई थी या वो चमत्कारिक रूप से मर गया था. तब से ही वो कहावत दिल्ली में मशहूर हो गई थी और आज भी लोग इसे इस्तेमाल करते है लेकिन असल में इसका मतलब ये ही है..