“दीन-ए-इलाही” धर्म किस मुगल शासक ने चलाया था? जानिए
दीन ए इलाही धर्म मुगल बादशाह अकबर के द्वारा चलाया गया था। अकबर मुगल वंश का सबसे उदार शासक था। वह सभी प्रमुख धर्मों को एक साथ मिलाकर चलना चाहता था। वह अच्छी तरह से समझ गया था कि यदि भारत में सफलतापूर्वक शासन करना है तो हिन्दू प्रजा को मिलाकर चलना होगा।
इसी उद्देश्य से अकबर ने दीन ए इलाही मत को चलाया। दीन ए इलाही मत में सभी धर्मों को सम्मान प्राप्त था। इस धर्म को मानने वालो की संख्या ज्यादा नहीं थी। हिंदू, मुशलमान, इसाई, बौद्ध एवं जैन धर्म के धर्म उपदेशक एक जगह इकट्ठा हो कर के धार्मिक बाद विवाद किया करते थे। इसके लिए अकबर ने फतहपुर सिकरी में एक भवन का निर्माण कराया था।
दीन ए इलाही जन सामान्य का धर्म नहीं बन सका था। यह राज दरबार के दरबारियों तक सीमित था। अकबर ने दीन ए इलाही मत को चलाकर के गंगा, जमुनी संस्कृति का नींव डाला था।