दुःखो का अंत करने वाले सफेद और नीली अपराजिता में क्या अंतर है? जानिए

मेरा मानना है कि दुःखो का अंत नही है। चाहे आप कितना भी कोशिश कर लो कोई फर्क नही पड़ेगा।

प्रत्येक व्यक्ति दुःख को खत्म करना चाहता है पर ये एक ऐसी सांसारिक बीमारी है जिसकी कोई वेक्सीन नही बनी है।

ऐसा इसलिए है कि ये कोई फिजिकल चीज नही है जिस बजह से इस पर काबू नही कर सकते।

हालांकि दुख को कम किया जा सकता है। पर खत्म नही।

बेहतर यही होगा कि दुख को पहचान कर उसे कम करले बढ़ने नही दे।

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