देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जहाँ महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं

हम भारतीयों के लिए इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि देवी के स्वरूप को पूजने वाले इस देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हों जहाँ महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. स्त्री-पुरुष की समानता पर जोर देने वाले इस देश में दोनों के बीच का भेदभाव स्पष्ट रूप से नजर आता है. और इस असमानता और भेदभाव को स्पष्ट करने के लिए, धार्मिक स्थल पर महिलाओं को प्रवेश ना देने से बड़ा उदाहरण और क्या होगा.

आइये जानते हैं देश के कुछ ऐसे ही धार्मिक स्थलों के बारे में, जहाँ महिलाओं का प्रवेश वर्जित है:

सबरीमला श्री अयप्पा केरल (Sabarimala Sri Ayyappa Temple)

अयप्पा मंदिर प्राचीन और भव्य मंदिरों में से एक है. मंदिर के भीतर 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मान्यता है कि इस उम्र में महिलाओं में मासिक धर्म होने के कारण वो मंदिर में प्रवेश के लिए शुद्ध नहीं होती. यहाँ देश ही नहीं विदेशों से भी हर साल भारी संख्या में श्रृद्धालु आते हैं, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अपने ही देश की महिलाओं को यहाँ प्रवेश की अनुमति नही है.

पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल (Padmanabhaswamy Temple, Kerala)

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है. यह भारत का सबसे अमीर मंदिर है. मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी. जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है. इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर, राजस्थान (Karthikeya Temple, Pushkar, Rajasthan)

राजस्थान का प्रसिद्ध तीर्थस्थल पुष्कर शहर में स्थित कार्तिकेय मंदिर भी बहुत दर्शनीय है. लेकिन इस मंदिर में भी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है.

हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, दिल्ली (Hazrat Nizamuddin Auliya Dargah, Delhi)

दक्षिणी दिल्ली में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन का मकबरा सूफी काल का एक पवित्र दरगाह है. हजरत निज़ामुद्दीन चिश्ती घराने के चौथे संत थे. कहा जाता है कि 1303 में इस सूफी संत के कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था, तब से ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए. इस दरगाह में भी औरतों का प्रवेश निषेध है.

हाजी अली दरगाह, मुंबई (Haji Ali Dargah, Mumbai)

बाबा हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह पूरे विश्व से सभी धर्मों के लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए बाबा से मन्नते मांगते हैं. ये दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव के लिए प्रसिद्ध है. हाजी अली दरगाह का सबसे भीतरी हिस्से में औरतों का प्रवेश वर्जित है. इस्लाम शरीयत कानून के अनुसार किसी भी पवित्र कब्र के निकट महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

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