ध्यान करने से बदल जाएगी आपकी जिंदगी,आपके पास होगा सबकुछ जो आप चाहते है
महात्मा गौतम बुद्ध की कहानी में आप सभी का स्वागत है हाथ में आपको ध्यान का अनुभव कैसे करें मैं बताऊंगा मैं आपको एक कहानी सुनाऊंगा जिसके जरिए आप आसानी से समझ जाएंगे कि ध्यान का अनुभव क्या है तथा इसे किस प्रकार किया जाता है।
एक बार एक गांव में एक व्यक्ति ज्ञान का अनुभव करना चाहता था क्योंकि उस व्यक्ति ने कहीं से सुना था कि ध्यान का अनुभव करने के जीवन को देखने का नजरिया ही बदल जाता है। वह व्यक्ति प्रतिदिन अपने गांव के नजदीक एक बार पर जाता वहां जाकर ध्यान करने का प्रयास करता।लगातार पांच महीनों तक प्रयास करने के बाद भी उस व्यक्ति को ध्यान का अनुभव प्राप्त नहीं हुआ। उस व्यक्ति के मन में कुछ आशंकाएं जागृत होने लगी। उसके मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठने लगे लेकिन वह व्यक्ति लगातार ध्यान करने का प्रयास करता रहा। ऐसे शारीरिक तथा मानसिक कष्ट भी होने लगे थे।
उस व्यक्ति ने सोचा कि मुझे किसी ऐसे व्यक्ति से जाकर मिलना चाहिए जिसमें स्वयं भी ध्यान का अनुभव किया हो। वह व्यक्ति अपने गुरु की खोज में निकल पड़ता है। कुछ दिन लगातार चलने के बाद उसे एक आश्रम दिखता है उस आश्रम में जाकर देखता है कि उस व्यक्ति के बहुत सारे शिष्य हैं। वह गुरुजी के पास जाकर कहता है कि गुरु जी कृपया कर मुझे आप अपना शिष्य बना लीजिए। गुरुजी उससे पूछते हैं कि तुम मेरा सिर से क्यों बनना चाहते हो? वह व्यक्ति जवाब देता है कि मैं ध्यान का अनुभव करना चाहता हूं इसलिए मैं आपका शिष्य बनना चाहता हूं। गुरुजी उसे अपना शिष्य बना लेते हैं और कहते हैं कि अगले दिन से ही तुम्हारी दीक्षा शुरू होगी।
अगले दिन जाने पर वह व्यक्ति गुरुजी के सामने जाकर खड़ा हो जाता है और पूछता है कि गुरुजी मेरे लिए क्या आज्ञा है। गुरु जी इसे कहते हैं कि जंगल में जाकर किसी भी प्रकार का एक पुष्प का पौधा ले आओ। वह व्यक्ति जंगल में जाकर प्रश्नों क पौधा ले आता है और गुरुजी के सामने आकर खड़ा हो जाता है।गुरुजी इसे कहते हैं कि तुम इसे अपनी कुटिया के सामने रखो जहां पर इसे अच्छी धूप मिलनी चाहिए और इसमें पानी और खाद डालो।
मैं व्यक्ति पानी और खाद डालकर गुरुजी के पास जाकर खड़ा हो जाता है गुरुजी से कहते हैं कि आज मुझे जो सिखाना था मैंने सिखा दिया कल तुम आना। कल फिर मैं व्यक्ति आता है और गुरु जी उससे कहते हैं कि तुम पहले पौधे में जाकर जल और खाद डालकर आओ। वह व्यक्ति पौधे में पानी तथा खाद डालकर आता है गुरु जी इसे कहते हैं कि तुम कल आना। इसी तरह 15 दिन निकल जाते हैं।धीरे-धीरे इस व्यक्ति में क्रोध आने लगता है और 16 में दिन आग का गुरुजी के पास खड़े हो जाते हैं और सोचते हैं कि क्या आप मुझे ध्यान का अनुभव करना नहीं बताएंगे।गुरु जी कहते हैं कि पहले पौधे को देखकर आओ कि उस में क्या परिवर्तन आया है।
वह व्यक्ति जाता है और पौधे को देखकर आता है। वह व्यक्ति आकर बताता है कि इस पौधे में एक नई कली निकली है। गुरु जी कहते हैं जाओ जा कर पौधे में पानी डाल कर आओ तथा खाद डालना ना भूलना। वह व्यक्ति जाता है गुरुजी के कहे अनुसार कार्य करता है तथा वहां से चला जाता है। अगले दिन थे वह व्यक्ति आता है और गुरुजी के सामने आकर खड़ा हो जाता है। गुरुजी उसे अपने साथ चलने के लिए कहते हैं।जब वह व्यक्ति गुरुजी के साथ चलकर पौधे के समीप पहुंच जाता है तो गुरुजी उससे कहते हैं इस पौधे को ध्यान से देखो क्या इसमें कोई परिवर्तन दिख रहा है। वह व्यक्ति बोलता है कि हां इसमें एक फूल खिला हुआ है। गुरुजी किसे कहते हैं क्या यह फूल तुम्हारे प्रयास से खिला हुआ है । वह व्यक्ति कहता है हा गुरुजी। गुरुजी से कहते हैं यह फूल केवल तुम्हारे प्रयास से नहीं खिला इसमें अगर समय पर खाद तथा पानी नहीं डाला जाता तो यह फूल कभी नहीं खिलता।
ठीक उसी प्रकार ध्यान का फूल केवल तुम्हारे प्रयास से नहीं खिलेगा। इस को खिलाने के लिए समय-समय पर धूप पानी तथा खाद देना होगा। वह व्यक्ति पूछता है कि कृपया करके विस्तार से बताएं। ध्यान के इस फूल को खिलाने के लिए समय-समय पर मानसिक तथा शारीरिक योग की आवश्यकता होती है। जब आप मानसिक तथा शारीरिक रूप से सक्षम हो जाते हो तो आपका ध्यान खुद ही लग जाता है।अर्थात ज्ञान का फूल से मिल जाता है इसके बाद आपका जीवन को देखने का नजरिया बदल जाता है।