नंगेली, दक्षिण भारत की वह साहसिक महिला, जिसने अपने स्तन ढकने के अधिकार के लिए अपने स्तन ही काट दिए
प्राचीन समाज में कई ऐसी कुरीतियां प्रचलित थी जिनके बारे में अगर आज हम जानते हैं तो यकीन ही नहीं कर सकते कि ऐसा भी कुछ हो सकता है. जैसे सती प्रथा. यह एक ऐसी कुप्रथा थी जिसमें किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाने के बाद उस महिला को जीवित अपने पति के साथ अग्नि में समाविष्ट होना पड़ता था.
काफी विरोध और कठोर कानून के अस्तित्व में आने के बाद भारत में वर्तमान में यह प्रथा बंद हो गई. ऐसी ही दिल को झकझोर देने वाली कहानी है नंगेली की.
जिनका जन्म त्रावणकोर रियासत में हुआ था और यहां पर अपने स्तन ढकने के लिए भी “कर(tax)” देना पड़ता था और नंगेली नामक महिला ने इसका विरोध किया और अपने स्तन ढकने के अधिकार के लिए अपने स्तन ही काट दिए.
नंगेली का जन्म 19 वी सदी के शुरू में केरल की त्रावणकोर रियासत के चेरथला गांव में हुआ था.
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकॉलॉजी और दलित स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शीबा केएम बताती हैं कि उस वक्त पहनावे के कायदे इस प्रकार हुआ करते थे कि एक व्यक्ति को देखकर उसकी जाति की पहचान की जा सकती थी.
उस समय में त्रावणकोर रियासत में महिलाओं को अपने स्तन ढकने के लिए “स्तन कर” देना होता था. यह tax देने के बाद ही वे अपने स्तनों को ढक सकती थी. अन्यथा उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं थी. और उस वक्त ऊंची जाति की औरतें ही इस कर को देने में सक्षम थी और वही अपने स्तनों को ढक सकती थी.
बाकी की दलित महिलाओं को ऐसे ही रहना पड़ता था क्योंकि ज्यादातर दलित खेतिहर मजदूर थे और बार-बार इस tax को देना उनके बस की बात नहीं थी.
नंगेली का इस प्रथा के खिलाफ विरोध
इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था. लेकिन दलित समाज की एक नंगेली नाम की महिला ने इसका विरोध किया और बिना “स्तन कर” दिए अपने स्तन ढकने शुरू कर दिए.
जब यह बात राजा के अधिकारियों तक पहुंची, तो वे “स्तन कर” लेने के लिए नंगेली के घर पहुंचे और ऐसा कहा जाता है कि कर मांगने आए अधिकारी ने जब नंगेली की बात नहीं मानी तो नंगेली ने स्वयं अपने स्तन काट कर उन अधिकारियों के सामने रख दिए.
अपने इस साहसिक कदम की वजह से “कर” लेने आए अधिकारी वहां से भाग खड़े हुए. किंतु बहुत अधिक खून बहने की वजह से नंगेली की मृत्यु हो गई और ऐसा कहा जाता है कि उनके पति ने भी अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी |
नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू बताते है कि नंगेली के परिवार की संतान होने पर उन्हें बहुत गर्व है। उनका कहना था, “उन्होंने (नंगेली) ने अपने लिए नहीं बल्कि त्रावणकोर रियासत की सारी औरतों के लिए यह कदम उठाया था और इसके फल स्वरुप राजा को उनके सामने झुकना पड़ा और यह कर वापस लेना पड़ा.