बाज़ार में पनीर सस्ते भाव में कैसे उपलब्ध हो जाता है, जबकि घर पर बनाने में लागत अधिक आती है?

1.अधिक मात्रा में बनाते हैं जिससे लागत कम आती है ।

२.आजकल दूध के अलावा सोयाबीन से भी पनीर बनाया जा रहा है जिसे टोफू कहते हैं जो पशुओं के दूध की अपेक्षा सस्ता पड़ता है इससे भी लागत कम होती है ।

  1. अन्य हानिकारक पदार्थों से पूरी तरह अशुद्ध पनीर बनाया जाता है जिसकी लागत बहुत कम आती है और अधिक लाभ कमाने की चाह में यह नकली पनीर बाजार में बेचा जाता है । 50 रुपए में जो पनीर तैयार होता है ,वह ₹300 किलो तक बेच दिया जाता है ,जिसे हम सस्ता मानते हैं ,किंतु स्वास्थ्य की दृष्टि से वह हमें बहुत महंगा पड़ता है ।

4.दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे ही पनीर, दही ,छाछ, घी और मिठाइयां सभी में मिलावट इतने व्यापक स्तर पर होने लगी है कि हमें यह अंदाजा भी नहीं होगा कि हम दिन भर में जो दूध और दूध से बने पदार्थ खाते पीते हैं, यहां तक कि उपवास में भी खाते हैं ,वह कितनी मिलावट से भरा हुआ है ।

5.हमारे एक मित्र के मित्र मावा / खोए के बहुत बड़े व्यापारी हैं, उन के यहां से पूरे भारत में सप्लाई होता है । जब एक बार हमने दीपावली के त्यौहार पर उनसे 2 किलो मावा घर के लिए ले जाने की बात की, तो हमारे मित्र ने हमें बताया कि यदि किसी से दुश्मनी हो तो उसे मावे / खोए की मिठाई का डिब्बा प्रत्येक दिवस भेजा जाना चाहिए, वह उसे खाकर 1 साल में स्वर्ग सिधार जाएगा ।

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