भारत के कोरोना संकट की चिंता पूरी दुनिया को क्यों करनी चाहिए?

जयंत मल्होत्रा दिल्ली के एक श्मशान घाट में लोगों के अंतिम संस्कार में मदद करते हैं. दिल्ली के क़रीब-क़रीब सारे अस्पताल कोरोना मरीज़ों की रोज़ बढ़ती तादाद से जूझ रहे हैं.

सोमवार को भारत में लगातार पाँचवे दिन भी तीन लाख से ज़्यादा नए मामले सामने आए हैं. इस समय दुनिया में सबसे ज़्यादा मामले रोज़ाना भारत में आ रहे हैं.

हालंकि मंगलवार को कोरोना संक्रमितों की संख्या में क़रीब 30 हज़ार की कमी देखी गई.

पिछले दो हफ़्ते में भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या में अप्रत्याशित उछाल देखी जा रही है वहीं चीन, अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इस दौरान कोरोना से मरने वालों की संख्या में कमी आई है.

कई देश लॉकडाउन हटा रहे हैं. यूरोपीय यूनियन ने तो अमेरिका से आने वालों को इजाज़त देने के सभी संकेत दिए हैं, जिन्होंने कोरोना का टीका लगवा लिया है.

लेकिन क्या भारत में कोरोना के कारण ख़राब होते हालात दुनिया के लिए भी एक बड़ी समस्या बन सकते हैं?

भारत का कोरोना संकट कितना गंभीर है? कोरोना के मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसलिए श्मशान घाट में एक ही साथ कई शवों को जलाया जा रहा है.
इस साल फ़रवरी में रोज़ाना कोरोना संक्रमितों की संख्या क़रीब 12 हज़ार थी और मरने वालों की संख्या कुछ सौ थी, तब लोगों को उम्मीद हो गई थी कि भारत में कोरोना का सबसे बुरा दौर गुज़र चुका है.

लेकिन 17 अप्रैल के बाद से भारत में रोज़ाना दो लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं जबकि पिछले साल सितंबर में जब कोरोना अपने पीक पर था तब भारत में रोज़ाना क़रीब 93 हज़ार मामले आ रहे थे.

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इस दौरान रोज़ाना मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है जो 25 अप्रैल तक औसतन 2336 हो गई है. पिछले साल के पीक में रोज़ाना मरने वालों की लगभग दो गुना.

बीबीसी के स्वास्थ्य और विज्ञान संवाददाता जेम्स गैलाघर के अनुसार स्पष्ट है कि भारत संघर्ष कर रहा है. सामने जो डर सता रहा है वो मुझे उस समय की याद दिला रहा है जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी और लोगों को इसके बारे में कोई ज़्यादा जानकारी नहीं थी.

जेम्स कहते हैं, “पूरे मेडिकल केयर से बाद भी कोरोना जानलेवा हो सकता है, लेकिन जब अस्पतालों में जगह भी नहीं है तब तो वो लोग भी मारे जाते हैं जिनकी ज़िंदगी शायद बचाई जा सकती थी.”

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