भारत में मरने के बाद तेरहवीं क्यों मनाते हैं?

‌‌‌मरने के तुरंत बाद ही इंसान की अवस्था बेहोशी की होती है जिसको सुसुप्ती अवस्था कहा जाता है। यह 3 दिन या उसे अधिक भी हो सकती है या इससे कम भी । यदि अचानक कोई आपको यहां से उठा कर जंगल मे पटक दे और जंगल का रस्ता आप नहीं जानते हैं लेकिन घर जाना चाहते हैं तो क्या होगा ?

मौत जीवन का अंत नहीं है ‌‌‌यह आत्मा की दूसरी अवस्था का नाम है। इस अवस्था मे आप सब कुछ देख सकते हैं लेकिन आपको कोई नहीं देख सकता है। 12 दिन आप अपनी वासनाओं को पूरा करने की कोशिश करते हैं। और अंत मे जब आपकी सारी कोशिशें असफल हो जाती हैं तो आप शांत होते हैं।

‌‌‌उसके बाद आपकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दान दिया जाता है। यदि किसी गुस्सेल इंसान के पास यदि आप खाना लेकर जाएंगे तो वह फेंक देगा । लेकिन शांत हो तब लेकर जाना । असल मे 12 दिन इंतजार करने का यही मतलब है कि जीवात्मा की वासना का क्षय हो जाए और वह थोड़ा शांत हो जाए । उसका मोह छूट जाए या कम ‌‌‌ हो जाए ताकि वह दूसरे लोक को आसानी से जा सके । अन्यथा प्रेत योनी के अंदर भटकेगी ।

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