मायासुर ने कैसे अर्जुन से अपने परिवार की मौत का का बदला लिया?

बात तब की है जब हस्तिनापुर का बंटवारा हुआ था जिसमें एक हिस्सा पांडवों को खांडवप्रस्थ दिया गया था।यह एक विशालकाय जंगल था जिसमें असुर माया सुर तक्षक नाग हाथी शेर जीव जंतु इस में रहते थे और इंद्र ने इन सब की रक्षा का वचन दिया था खासकर तक्षक नाग को। जब पांडवों ने जंगल को अंदर से देखा तब सोचा क्यों न इस इसी जमीन पर एक सुंदर इंद्र के जैसा महल क्यों न बनवाया जाए।

तब भगवान कृष्ण की आज्ञा लेकर के जंगल को अर्जुन ने अग्नि अस्त्र से जलाना शुरू किया तभी जंगल में रहने वाले जीव धू धू कर जल गए तक्षक नाग का परिवार और उसके अन्य मित्र उस जंगल में आग लगने के कारण सभी की मौत हो गई बदकिस्मती से मायासुर ने माया का प्रयोग करके अर्जुन से बचकर भागने लगा तब अर्जुन ने देख लिया और उससे उसका परिचय पूछा तो उसने कहा वो मायासुर है और भवन निर्माण में बहुत अच्छा है।

तब अर्जुन ने सोचा कि क्यों ना मायासुर का प्रयोग करके इस जमीन पर एक माया भवन तैयार किया जाए और मायासुर को इसका जिम्मा सौंपा और वचन दिया कि इस काम के बाद उसे स्वतंत्रत कर दिया जायेगा पर मायासुर को भी अपने परिवार की मौत का बदला लेना था इसलिए उसने ऐसे महल का निर्माण किया जिसकी माया से मोहित होकर कोई भी उस महल को पाने के लिए युद्ध करेगा और इससे पांडव का नुक़सान ही होगा यह सोचकर उसने महल का निर्माण शुरू किया और अपनी माया से माया भवन तैयार किया जो दिखने में इंद्र के स्वर्ग के जैसा दिखता था।

इसी माया भवन को पाने के मोह में दुर्योधन ने पांडवों को जुए पर बुलाया और छल से यह महल जीता लिया और फिर इसी जमीन और महल को लेकर कौरव और पांडव में महाभारत का युद्ध हुआ जिसमें इन सब का विनाश हुआ।

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