मृत्यु से पहले ही मनुष्य को अपनी मौत से जुड़े कौन से संकेत मिलने लगते हैं? जानिए
दुनिया का अनुभव तो न्ही है परंतु परिवार का अनुभव शेयर करता हू।. पिता जी का जब देहांत हुआ तो मै वहाँ था नही गया तो सुना और देखा कि।। वह दुकान चलाते थे उनकी मदद के लिये सहायक भी था। छोटी बहिन और मां घर पर थी। जिस दिन मौत हुयी उसकी एक रात पहले ही उन्होंने दुकान का सारा लेन देन एक डायरी मे लिखा और बडे भाई को एक नोट पारिवारिक जिम्मेदारी का लिखा उसको कागज का हाइलाइटर (मार्क) बनाकर गल्ले मे (दुकान की तिजोरी) मे रख दिया था।
और सुबह दुकान खोलने के बाद ठीक ग्यारह बजे बहिन को बुलाकर दुकान अच्छी तरह बदं करने के बाद घर आ गये और कहा कि बेटो को फोन कर दो और मेरे चाचा थे उनको बुलवा लो। और पलंग पर भी नही लेटे जमीन पर लेट गये। सबने उपर लेटाने की कोशिश की तो आवाज अब साथ छोड गयी थी इसारे से मना कर दिया। अगले दिन सुबह बडे भाई चाचा घर पहुचे तब तक उनकी सासे चल रही थी डा ने भी कही ले जाने से अब मना कर दिया था। दिन मे सब लोगो ने लंच किया। ठीक दो बजे उन्होंने शरीर छोड दिया।। उनकी मौत को देखकर मै आज भी सोचता हू कि बास्तव मे इंसान को क्या अह्सास हो जाता है। ऐसा मेरा अनुभव है।