लकड़ियों का गट्ठर मजेदार कहानी पढे

लकड़ियों का गट्ठर

एक वृद्ध पिता अपने तीन पुत्रों के साथ रहता था। तीनों पुत्र बहुत मेहनती थे पर आपस में झगड़ते रहते थे। एक दिन पिता ने सब बच्चों को बुलाया।

अपने बड़े पुत्र से पिता ने वह गट्ठर तोड़ने के लिए कहा। पुत्र अत्यंत बलशाली था। अपनी पूरी शक्ति लगाकर भी वह उसे तोड़ने में असफल रहा।

बारी-बारी से अन्य पुत्रों ने भी अपना जोर आजमाया पर सभी असफल रहे। अब पिता ने गट्ठर को खोलकर उन्हें एक-एक लकड़ी उठाने के लिए कहा।

सभी पुत्रों ने गट्ठर में से एक-एक लकड़ी उठा ली। पिता ने पुत्रों से कहा, “इन्हें तोड़ो।” सबने बड़ी सरलता से अपनी-अपनी लकड़ियाँ तोड़ डालीं और आश्चर्य से पिता की ओर देखने लगे ।

मुस्कराते हुए पिता ने कहा, “मेरी मृत्यु के पश्चात् तुम सब इसी गट्ठर की तरह इकट्ठे रहना। आपस में कभी लड़ाई नहीं करना। एकता बनाए रखना।

कोई भी शक्ति तुम्हें तोड़ नहीं पाएगी। यदि अलग हो जाओगे तो उस लकड़ी की भांति तुरंत टूट जाओगे।” पुत्रों को बात समझ आ गयी और उन्होंनें प्रेम से साथ रहने का वादा किया।

जिंजरब्रेड मैन

एक समय की बात है, एक बूढ़ी औरत थी। उसकी कोई संतान नहीं थी। वह बहुत ही अकेली थी। एक दिन उसने जिंजरब्रेड का एक लड़का बनाने का निर्णय किया।

उसने आटा गूंथकर उसे एक लड़के का आकार दिया। किशमिश से आँखें और मुँह बनाकर चीनी से बाल और कपड़े बनाए।

मीठी गोलियों के बटन लगाकर उसे पकने के लिए तंदूर में डाल दिया और दूसरे काम करने लगी। कुछ समय के बाद उसने तंदूर खोला तो जिंजरब्रेड मैन कूदकर बाहर निकला और भागने लगा।

बूढ़ी औरत उसके पीछे-पीछे भागी पर वह भागता ही जाता था। साथ में गाता जाता था, “भागो-भागो, पूरी ताकत से भागो… तुम मुझे नहीं पकड़ सकते, मैं जिंजरब्रेड मैन हूँ। ”

दौड़ते-दौड़ते उसकी मुलाकात एक गाय, एक घोड़े और एक बकरी से हुई पर कोई उसे न पकड़ सका। वह एक तालाब के किनारे पहुँचा। वहाँ उसकी मुलाकात एक लोमड़ी से हुई।

उसे देखकर जिंजरब्रेड मैन ने अपनी शेखी बघारी, “मुझे कोई नहीं पकड़ सका है, मैं जिंजरब्रेड मैन हूँ।

लोमड़ी ने कहा, “मैं तो तुम्हारी सखी हूँ, तुम्हें खाना नहीं चाहती। तुम थोड़ा आराम कर लो… थक गए हो…” ज्योंही वह आराम करने बैठा लोमड़ी ने लपककर उसे खा लिया।

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