लग्न और राशि में क्या अंतर होता है?

लग्न क्या है-

” किसी तिथि विशेष, स्थान विशेष एवं समय विशेष पर उस स्थान के पूर्व क्षितिज पर उदय होने वाली राशि को उस समय की लग्न कहते हैं “

किसी भी समय पर क्रांतिवृत (राशिचक्र) का जो बिंदु पूर्व क्षितिज का स्पर्श करता है उस समय उस राशि अंश आदि को लग्न कहते हैं एवं एक दिन ( अहोरात्र) मे 12 लग्नो की आवृत्ति होती है ।

” यत्र लग्न मपमण्डलं कुजे तदुगृहाधमिह लग्नमुउच्यते ” – सिद्धांत शिरोमणि

ज्योतिष शास्त्र मे लग्न से आत्मा ,मन , शरीर इत्यादि मूलभूत अवस्थाओं को देखने का प्रावधान है जो किसी भी धातु, मूल, जीव इत्यादि की वास्तविक अवस्था एवं भविष्य कथन मे सहायक सिद्ध होता है।

राशि क्या है-

ज्योतिष शास्त्र मे सभी विद्वानों ने भचक्र की सूक्ष्म इकाई ज्ञान के लिए उसे समझने का प्रयास किया है इसी क्रम मे उन्होंनें इस भचक्र को 12 भागो बाँट कर अध्ययन किया है जिसे 12 राशियो का नाम दिया गया है अर्थात सम्पूर्ण भचक्र =360° ÷ 12 =30° की एक

किसी जातक के जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि मे गतिमान होते हैं वह जातक विशेष की चन्द्र राशि कहलाती है चन्द्र अपने मासिक चक्र में बारहो राशि मे गतिमान होते हैं जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि मे गतिमान होगे जातक विशेष की चन्द्र राशि कहलाती है।

चन्द्रमा मन का कारक है साथ ही पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होने से विशेष रूप से प्रभावित करता है इसीलिए चन्द्र राशि का विशेष महत्व रहता है के अनुसार नक्षत्र तद्नुसार दशा चक्र का निर्धारण होता है।

सरल शब्दों में कहे तो दिनरात में बारहो लग्नो का समावेश होता है जबकि चन्द्रमा एक मास में सभी राशियों मे गोचर करते हैं जिस राशि मे गतिमान होते हैं वह चन्द्र राशि कहलाती है।

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