लोग पत्थरों को भगवान मानकर पत्थर की पूजा करने लगते हैं, किसी को पत्थर क्या दे सकता है?

लोग पत्थरों को भगवान मानकर पत्थर की पूजा करने लगते हैं,किसी को पत्थर क्या दे सकता है?

तो चलिए जानते हैं की एक पत्थर हमें क्या दे सकता है, लेकिन उससे पहले पत्थरों में क्या फर्क है ये समझना होगा .एक फोटो के जरिए मैं आपको समझाने कि कोशिश करूंगा ।

फोटो मे पहली हनुमान जी कि मूर्ति है और वो भी पत्थर की है जो मंदिरों मे घर में पूजा करने के लिए रखते है . दुसरी तरफ असली पत्थर है जो पहाड और जंगलों मे मिल जाता है .हिंदू सनातन धर्म मे मुर्ति पुजा की परंपरा कई बरसों से चल रही है और इसे हमे अंधश्रद्धा नही बल्की श्रद्धा कहना चाहिए ।

मूर्तिपूजा करने के फायदे:

1.जो लोग भगवान को नही मानते उनके लिए सभी पत्थर एक समान होते है लेकिन जो लोग भगवान के प्रति आस्था रखते है अच्छे मन से पुजा करते है उनके मन को आनंद मिलता है।

2.मन को शांति मिलती है, मन शांत हो जाता है।

3.मंदिर हमारा मन हलका करने का एक स्थान होता है।

4.मुर्तिपुजा करने से सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती है ,नकारात्मक विचार दुर होते है ।

5.मुर्तिपुजा करते समय अगरबत्ती जलानी पडती है इस अगरबत्ती कि सुगंध हमारे मन को मोहक करती है ।इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क भी है अगरबत्ती का धुआ बैक्टेरिया का नाश करता है।

6.जहा मुर्तिपुजा होती है वहा हमेशा शंखनाद और घंटी बजाई जाती है जैसे की मंदीर.मंदीर मे घंटी बजाने का वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिकों का कहना है की जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण मे कंपन पैदा होता है ,जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है इस कंपन का फायदा यह है की इसके क्षेत्र मे आने वाले सभी जीवाणुए, विषाणू ,शुक्ष्म जीव आदी नष्ट हो जाते है और आसपास का वातावरण शुध्द हो जाता है ।

इतने सारे फायदे है एक पत्थर की मुर्ति पुजने के .देखा जाए तो सनातन हिंदू धर्म वैज्ञानिक विचारधाराओं का स्विकार करता है और यही असली संस्कृती है ।

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