लोहड़ी के बारे में कुछ अनसुनी दिलचस्प बातें क्या हैं? जानिए

सूर्य अस्त होने पर लोग घरों और मैदानों में भुग्गा (बॉनफायर) जलाते हैं। सब लोग भुग्गे के इर्द-गिर्द घूमकर या बैठकर जश्न मनाते हैं। बैठे हुए लोग फुल्ले (पॉपकॉर्न), तिल, मूंगफली, गच्चक, रिओड़ी आदि खाते हैं और भुग्गे की आग में रसम के तौर पर फेकते भी हैं। आग का आनंद लेते हुए लोग प्रचुरता और समृद्धि की आशा करते हैं।

कुछ और खास बातें…

लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति होती है, जिसे पंजाब में माघी कहा जाता है। माघी का सिखी में बहुत बड़ा महत्त्व है। साल 1705 में मुक्तसर की जंग के दौरान 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का उनके चालीस सिखों ने साथ छोड़ दिया था। यह चालीस सिख लौट आए और फिर चालीस के चालीस मुग़ल शासन के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए। मुक्तसर की जंग के स्थान पर मुक्तसर साहिब की स्थापना हुई। हर साल माघी पर मुक्तसर साहिब में माघी मेला होता है।


लोहड़ी से कुछ दिन पहले ही बच्चे एक साथ घर-घर जाकर “सुन्दर मुंदरिए” गीत गाते हैं। हर घर से इन बच्चों को तोहफे के रूप में कुछ पैसे और फुल्ले मिलते हैं।


लोहड़ी के दिन के बाद सर्दी घटने लगती है, इसलिए यह दिन सर्दी के अंतिम दिन की तरह मनाया जाता है।

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