वटेश्वर में कितने मंदिर बने हुए हैं? जानिए रोचक बातें

मध्यप्रदेश के मुरैना शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर चंबल के जंगलों में 200 विशालकाय मंदिरों को एकसाथ देखकर अद्भुत ही लगता है। भारतवर्ष में संभवतः कहीं भी अन्यत्र इतने मंदिर एक साथ नहीं दिखते हैं। इनमें से अधिकतर मंदिर अब खंडहर में बदल गए हैं। पुरातात्विक खोज के अनुसार यह मंदिर लगभग चौथी सदी में बनाए गए थे। हालांकि कुछ इतिहाकारों के अनुसार इनका निर्माण 7वीं से 10वीं सदी के बीच में किया गया था।

कहते हैं कि इन मंदिरों की यह हालत देखकर लगाता है कि इन्हें आक्रांताओं ने नष्ट किया होगा लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि संभवत: भूकंप के कारण इनमें से कुछ मंदिर ध्वस्त हो गए हों। इस क्षेत्र का उल्लेख ऐतिहासिक साहित्य में धरोण या परवली (पड़ावली) के रूप में किया गया है। मंदिरों के समूह के लिए स्थानीय नाम बटेश्वर मंदिर हैं। कहते हैं कि भारतीयों ने सटीक वास्तु शास्त्र और ज्यामितीय नियमों का प्रयोग करते हुए ऐसे भव्य मंदिरों का निर्माण किया था जिन्हें देखकर देखने वाले दांतों तले अंगुलियां दबा लें।

बटेश्वर के मंदिरों का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासकों द्वारा कराया गया था। गुर्जर प्रतिहार शासक सूर्यवंशी थे और वे स्वयं को भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण का वंशज मानते थे। बलुआ पत्थरों से बने 25 एकड़ में फैले इन हिन्दू मंदिरों में से अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां मंदिरों के बीच हनुमानजी की एक ऐसी भी प्रतिमा है जिनमें वे अपने पैरों से कामदेव और रति को कुचलते हुए दिखाई देते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *