वो कौन सा राजा था जिसने रावण को बंदी बना लिया था?

श्रीरामचरितमानस में रावण के बारे में विशेष जानकारियां दी गयी है. महाकवि सन्त तुलसीदास ने रामायण का, रामकथा का गहन अध्ययन अपने गुरु श्री नरहर्यानंद जी से कर इस अनुपम अद्वितीय ग्रन्थ को अवधि भाषा में ही लिखा है और कितने रावण हुए, कौन से रावण ने क्या काम किये, उससे किसने युद्ध किया, किसने रावण को कैद किया, कैसे छूता, सभी विस्तार से दिया है, रावण अंगद संवाद में लंका कांड में. इसके कुछ सम्वन्धित दोहे और चोपाई निम्न है :

रावण का अभिमान सुने

तुम्हरे कटक मझ सुनु अंगद, मो सन भिरहि कवन जोधा बद.

तव प्रभु नारि विरह बलहीना, अनुज तासु दुख दुखी मलीना.

तुम्ह सुग्रीव कूलद्रुम दोउ, अनुज हमारे भीर अति सोहु.

जामवंत मंत्री अति बूढ़ा, सो कि होई अब समरा रुड़ा.

शिल्पकर्म जानहि नल नीला, है कपि एक महाबल शीला.

आवा प्रथम नगर जेहिं जारा, सुनत बचन कह बालि कुमारा.

रावण ने कहा कि अंगद आपके यहां दल में मेरे से सामना करने लायक कोई योद्धा नहि है. इसका जवाब अंगद कैसे देता है और यही प्रश्न का वास्तविक उत्तर है :

काहू रावण रावण जग केते, में निज श्रवण सुने सुनु जेते.

बलिहि जितन एक गयहु पताला, राखेहु बाँधि सिसुन हयशाला.

खेलहि बालक मारहिं जाई, दया लागि बलि दीन छुड़ाई.

एक बहोरीबंद सहसभुज देखा, धाइ धरा जिमिजंतु विषेसा.

कौतुक लागि भवन ले आवा, सो पुलस्त मुनि जाय छुडावा.

एक कहत मोहि सकुच अति रहा बालि कि कांख,

इन्हे मह रावण तें कवन सत्य बदहि तजि पाख.

अतः अंगद ने रावण के तीन रूप बताये जिससे रावण को रामदल को तुच्छ समझने कि भूल का सही उत्तर / बदला मिल जाय.

तीनों रावण में से प्रथम रावण को दैत्यराज बलि ने पकडकर घोड़साल में बांध दिया था. दूसरे रावण को राजा सहसबाहु अर्थात कार्तवीर्य अर्जुन ने से भी कैद किया गया तव उसे पुलस्त्य मुनि ने छुड़ाया जो कि स्वयं रावण के दादा थे, ऋषि विशर्वा के पिता थे. अंत में तीसरा रावण बालि वानरराज ने कैद कर लिया था जो स्वयं अंगद के पिता थे. अंगद पूछता है इन सभी रावणो में से आप कोनसे वाले है?

वास्तव में ये तीनो एक ही थे और रावण के भयंकर बलशाली योद्धा होते हुए अति अभिमान में बोलने के प्रतिउत्तर में अंगद ने उसे मामूली मानकर उसकों किस किस योद्धा ने हराया उनका नाम गिनाया. अर्थात रावण जो आत्मविश्वास से भरकर श्रीराम लक्ष्मण और वानर सेना को मामूली समझ रहा था, का आत्मविश्वास डिगाने कि नीति में उसकों अंगद ने पानी पिला दिया और फिर अंगद के कौतुक ने समस्त लंकावासियों में भय व्याप्त कर दिया.

अतः अंगद ने रावण को बंदी बनाने वाले तीनो राजाओं का विवरण रावण को उसकी भरि सभा के मध्य ही दे दिया. ये राजनीती कूटनीति और आत्मविश्वास का उदाहरण है. काश हमारी भारत कि सरकार भी चीन पाकिस्तान के साथ इस तरह कि स्पष्ट नीति अपनाये तो मसले बहुत शीघ्र सुलझ सकते है औरभारत मज़बूत राष्ट्र के रूप में पहचान बना सकता है.

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