शव को जल्दी जलाने के पीछे क्या है राज़

जीवन की कड़वी सच्चाई है मृत्यु… जी हां आप अगर इस दुनिया में आए हैं, तो आपको एक ना एक दिन मृत्यु भी ज़रूर आएगी। जीवन और मृत्यु यह दोनों की कमान भगवान के हाथों में हैं और हम सब बस एक कठपुतली की तरह इस जीवन को जीए जा रहे हैं।

आज वेद संसार आपको एक खास राज़ बताने जा रहा जो मृत्यु से जुड़ी हुई है… दरअसल मृत्यु के बात शव को जलाने की प्रक्रिया होती, लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि आखिर मरने के बाद शव को जल्दी क्यों जला दिया जाता है और देर से शव को जलाना अशुभ क्यों माना जाता है।

शव को जल्दी क्यों जला दिया जाता है –
हमारे हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण का उल्लेख है प्रमुख ग्रंथों में से एक माना जाता है और इसमें किए गए वर्णन के अनुसार किसी भी गांव या फिर मोहल्ले में किसी की मौत हो जाती है, तो उस व्यक्ति के साथ-साथ पूरे-पूरे मोहल्ले और गांव में कोई भी शुभ काम को करना वर्जित हो जाता है।
कहते हैं जब तक उस मृत व्यक्ति का शव वहां रहता है तब तक पूरे गांव आदि में ना तो पूजा होती है और ना ही कोई शुभ काम संपन्न हो पाता है। यही नहीं, इस दौरान घर में चूल्हा तक नहीं जलता है। वहीं, हिंदू धर्म के शास्त्रों की मानें, तो मृत व्यक्ति के शव की देख-रेख करना बहुत ही ज़रूरी माना जाता है, क्योंकि शव को अगर कोई जानवर छू लेता है तो उसकी दुर्गति हो जाती है।

शव को सही समय और सही विधि से जलाना क्यों है ज़रूरी –
कहते हैं कि मृत व्यक्ति का सही समय और सही विधि से अंतिम संस्कार करना उसके लिए व उसके परिवार के लिए भी लाभकारी माना जाता है। और तो और पिंडदान करने से देवता भी बेहद प्रसन्न होते हैं। आप शायद ही यह बात जानते होंगे कि शव को हाथ-पैर से बांध दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि पिशाच मृत व्यक्ति के शव पर अपना कब्जा ना कर पाए।

दूसरी ओर ज्योतिष विशेषज्ञों का साफ कहना है कि अंतिम संस्कार के समय चंदन और तुलसी की लकड़ियों का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए, क्योंकि हिंदू धर्म में इन्हीं लकड़ियों को शुभ माना गया है और साथ ही यह मृत व्यक्ति के शव को किसी भी जीवात्मा की दुर्गाति होने से उन्हें बचाती हैं।

मृत्यु से जुड़े क्या है 16 संस्कार
बता दें कि हिंदू धर्म में इंसान की मृत्यु से लेकर 16 संस्कार बताए गए हैं और यह सभी संस्कार आखिरी तक चलते हैं। जान लें कि 16 संस्कार में मृत व्यक्ति की आखिरी विदाई में घर की पुन: अशुद्धि से लेकर सारे क्रियाकलाप शामिल किए जाते हैं और हमारे गरुड़ पुराण में बताए गए सभी नियमों का पालन भी किया जाता है। याद रखें कि ऐसा करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है।

यह तो आप जानते होंगे कि सूर्यास्त के बाद कभी भी मृत व्यक्ति के शरीर को जलाना नहीं चाहिए। शास्त्रों में यह साफ कहा गया है कि अगर सूर्यास्त के बाद किसी के शरीर को जलाया जाता है उसकी आत्मा को परलोक में शांति कभी नहीं मिल पाती है और वह किसी ना किसी तकलीफ में रह जाती है व अगले जन्म में व्यक्ति के शरीर में किसी अंग में शारीरिक दोष भी उत्पन्न होता है।

गरूड़ पुराण में अंतिम संस्कार को लेकर कई छोटी-छोटी बातों का उल्लेख किया गया है जिसे ज़रूर अपनाना चाहिए।

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