शिवरात्रि : पर्व शिव और शक्ति के मिलन के बारे में जानिए

‘महाशिवरात्रि’ हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्यौहार है। यह फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तगण व्रत रहकर भगवान शिव का ध्यान करते हैं तथा जल, दूध एवं फूल इत्यादि चढ़ाते हैं। शाम को शिवजी की बारात निकाली जाती है एवं सभी भक्तगण हर्ष व उल्लास के साथ प्रेम भाव से जयकारा करते हैं।


कुछ विद्वानों का मत है कि आज ही के दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि आज के ही दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय अमृत से पहले समुद्र से निकला था।

जटाओं में गंगाजी को धारण करने वाले, सिर पर चंद्रमा को सजाने वाले, मस्तक पर त्रिपुंड तथा तीसरे नेत्र वाले, कंठ में कालपाश [नागराज] तथा रुद्रा- क्षमाला से सुशोभित, हाथ में डमरू और त्रिशूल है जिनके और भक्तगण बड़ी श्रद्दा से जिन्हें शिवशंकर, शंकर, भोलेनाथ, महादेव, भगवान् आशुतोष, उमापति, गौरीशंकर, सोमेश्वर, महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, नीलकंठ, काशीविश्वनाथ, त्र्यम्बक, त्रिपुरारि, सदाशिव तथा अन्य सहस्त्रों नामों से संबोधित कर उनकी पूजा-अर्चना किया करते हैं —– ऐसे भगवान् शिव एवं शिवा हम सबके चिंतन को सदा-सदैव सकारात्मक बनायें एवं सबकी मनोकामनाएं पूरी करें।

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