शोहरत की बुलंदियों से संन्यास तक का सफर, ऐसी थी विनोद खन्ना की लाइफ जानिए

अक्टूबर 1946 को पेशावर में हुआ था विनोद खन्ना का जन्म बतौर सपोर्टिंग एक्टर विनोद खन्ना ने फिल्मों में शुरू किया था काम  
1998 में भाजपा के टिकट पर गुरदासपुर से चुनाव लड़कर लोकसभा सदस्य बने  
फिल्म इंडस्ट्री में जब किसी एक्टर के सितारे बुलंदियों पर होते हैं तो उसके पीछे दुनिया भागती है। पैसा, ग्लैमर, नेम, फेम सब कुछ उसकी छोली में होता है, लेकिन हम आपको ऐसे कलाकार की जिंदगी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपने फिल्मी करियर को छोड़कर उस वक्त संन्यास धारण कर लिया, जब वह बॉलीवुड में बुलंदियों पर थे। अभिनेता विनोद खन्ना ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी हैं।  

2. आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें।  
विनोद खन्ना के बारे में कहा जाता है कि वह हीरो से ज्यादा विलेन के रोल में पसंद किए गए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ही खलनायक के तौर पर की थी और एक डाकू का किरदार निभाया था। विनोद खन्ना ने डाकू के उस किरदार को अमर कर दिया था। उनकी पर्सनैलिटी एक ऐसे हीरो की थी, जो हर रोल में फिट बैठता था।  

3. विनोद खन्ना का जन्म  
विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर में हुआ था। कारोबारी परिवार में जन्में विनोद खन्ना के पिता कपड़ों और केमिकल बनाने का काम करते थे। बंटवारे के बाद उनका परिवार पेशावर से मुंबई चला आया। विनोद खन्ना ने अपनी स्कूलिंग मुंबई के सेंट मैरी स्कूल से की। 1957 में उनका परिवार दिल्ली आ गया। विनोद खन्ना की बाकी की स्कूलिंग दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुई।

4. सुनील दत्त ने दिया पहला मौक  
विनोद की शुरीआती पढ़ाई लिखाई दिल्ली से हुई। इसके बाद उन्होंने अपनी स्नातक की एजुकेशन मुंबई से की। वो साइंस के स्टूडेंट थे। वहीं, उनके पिता चाहते थे कि वो कॉमर्स की पढ़ाई कर टेक्सटाइल्स बिजनेस में हाथ बटाएं। पिता ने उनका दाखिला एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही विनोद ने थिएटर में काम करना शुरु कर दिया था। इसी दौरान उन्हें एक पार्टी के दौरान निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का मौका मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म ..मन का मीत ..के लिये नये चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सपोर्टिंग एक्टर काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने हंशी खुशी से मंजूर कर लिया।  

5. उतार चढ़ाव भरी रही जिंदगी  
विनोद खन्ना की जिंदगी भी बड़ी उतार चढ़ाव भरी रही है। उनके जीवन में एक ऐसा भी दौर देखने को मिला जब उन्होनें अपना सब कुछ ताक पर रखकर घर बार छोड़कर संन्यास लेने का मन बना लिया। उनके संन्यास लेने की वजह से ही उनकी पहली पत्नी गीतांजली ने उन्हें तलाक दे दिया। गीतांजली विनोद के बचपन की दोस्त थी बाद में वे कॉलेज में उनकी गर्लफ्रेंड भी रही। दोनों साल 1971 में शादी की थी। गीतांजली से दो बेटे अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना हैं।  

6. संन्यास से लौटने के बाद विनोद की मुलाकात कविता से हुई। एक साल की मेल मुलाकात के बाद विनोद ने एक और चौंकाने वाला ऐलान किया कि वो अपने से 16 साल छोटी कविता से शादी करने जा रहे हैं। 1990 में विनोद ने कविता से शादी की। दोनों के एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा हैं।  

7. क्यों लिया था संन्यास  
विनोद के निधन के दो साल बाद उनके बड़े बेटे अक्षय ने बताया कि आखिर उनके पिता ने पत्नी और बच्चों को छोड़कर संन्यास क्यों लिया था। अक्षय ने बताया कि जितना उन्होंने इस बारे में अपने पापा से बात की और समझा तो उनकी वापसी की यह वजह नहीं थी। दरअसल धर्म-संप्रदाय से मोह भंग हो गया था, जिसके बाद सभी को अपनी राह खोजनी पड़ी। उनके पिता भी उसी वक्त वापस आए। अगर ऐसा नहीं होता तो वे कभी भी वापस नहीं आते।”  

8. सर्वश्रेष्ठ एक्टर का फिल्म फेयर पुरस्कार  
विनोद खन्ना को शुरुआती सफलता गुलजार की फिल्म मेरे अपने से मिली। इस फिल्म में मीना कुमारी ने भी अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद साल 1973 में विनोद खन्ना को एक बार फिर से निर्देशक गुलजार की फिल्म ..अचानक ..में काम करने का मौका मिला जो उनके करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी। साल 1974 में प्रदर्शित फिल्म ..इम्तिहान .साल , 1977 में प्रदर्शित फिल्म ..अमर अकबर ऐंथोनी, कुर्बानी, इंसाफ, दयावान जैसी कई सुपर हिट फिल्में विनोद ने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। फिल्म कुर्बानी के लिए विनोद खन्ना ने को दमदार एक्टिंग और सर्वश्रेष्ठ एक्टर के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  

9. फिल्मों के बाद शुरू किया राजनीतिक सफर
विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद विनोद खन्ना ने समाज सेवा के लिए वर्ष 1997 राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से वर्ष 1998 में गुरदासपुर से चुनाव लड़कर लोकसभा सदस्य बने। बाद में उन्हें केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी उन्होंने काम किया। इसके बाद विनोद खन्ना 27 अप्रैल 2017 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।

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