‘सूर्यास्त पहाड़ मस्त’ ऐसा क्यों कहा जाता है? जानिए
सूरज अस्त पहाड़ी मस्त, ये कहावत है, शायद रमा जी आप भी पहाड़ से है,
बेसईकली, ये उत्तरांचल जे पहाड़ी लोगो के लिए बोला जाता है, जहा तक मैंने सुना और देखा है, की पहाड़ पर सब काम औरते ही करती है, चाहे वो कमाने का हो या घर का, मर्द लोग बाहर बैठ कर हुक्का पीते है,
ताश खेलते है, गप्पें मारते हैं, ओर इस तरह अपना दिन का वक़्त गुज़ारते है, शाम होते ही, जैसे ही सूरज ढलता है, शराब पीने में मस्त हो जाते है,
इसी लिए ये कहावत बनी,