सूर्य का जन्म कैसे हुआ ? जानिए
मार्कंडेय पुराण के अनुसार पहले यह सम्पूर्ण जगत प्रकाश रहित था। जब ब्रह्मा के मुख से ‘ऊँ’ प्रकट हुआ, वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप माना गया और रौशनी प्रकट हुई। इसके बाद भूः भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ‘ऊँ’ में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने के कारण ही आदित्य नाम से ही बुलाया जाता है।
ऋषि पुत्र सूर्य
एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र मरिचि और मरिचि के पुत्र महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या दीति और अदिति से हुआ। अदिति के गर्भ से सूर्यदेव ने पुत्र रूप में जन्म लिया। सभी देवता अदिति के ही पुत्र थे और सूर्य उनके नायक बने और असुरों का संहार किया।
अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण भी इन्हें आदित्य कहा गया। साथ ही अदिति ने सूर्यदेव के वरदान से हिरण्यमय अंड को जन्म दिया, जो कि अपने तेज के कारण मार्तंड कहलाया। भविष्य, मत्स्य, पद्म, ब्रह्म, मार्केंडेय, साम्ब आदि पुराणों में भी सूर्य से संबंधित अनेक कथायें मिलती हैं।