अगर नेवला एक इंसान को काट ले, तो क्या होगा?

नेवला एक मांसाहारी वनचर जीव है। मनुष्यों की आबादी के लगातार प्रसार तथा वन क्षेत्रों के लगातार संकुचित होते चले जाने के कारण नेवले भी धीरे-धीरे मानव आबादी के नजदीक आते चले गए तथा इस प्रकार वे जाने अंजाने, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्यों तथा उनके संरक्षण में पलने वाले पालतू जानवरों जैसे कुत्ते बिल्ली तथा गिलहरियों आदि के संपर्क में आने लगे। इस कारण से तथा आबादी क्षेत्रों में कचरे आदि का सही प्रबंधन न होने के कारण “रेबीज़” जैसी घातक संक्रामक बिमारी के वायरस कुत्ते बिल्ली जैसे जीवों से नेवलों में भी स्थानांतरित हो गए जिससे नेवले भी रेबीज़ वायरस तथा कुछ अन्य खराब बैक्टीरिया के वाहक या कैरियर बन गए।

कोबरा जैसे विषधारी तथा खतरनाक सांपों के प्रति अत्यंत आक्रामक रुख रखने के लिए विख्यात और उन्हें मारकर खा जाने वाले नेवले आमतौर पर मनुष्यों पर आक्रमण नहीं करते और अमूमन उनसे दूरी बनाए रखते हैं। कुछ अफ्रीकी देशों में नेवलों के रेबीज़ वायरस से संक्रमित होने तथा उनके द्वारा मनुष्यों को काट लेने की घटनाएं आम बात है। परंतु पिछले कुछ समय से भारत में भी इस तरह की कुछ घटनाएं प्रकाश में आयी हैं जहां कि नेवलों द्वारा मनुष्यों को काट लिया गया और कुछ मामलों में नेवले रेबीज़ नामक घातक वायरस से संक्रमित पाए गये।

अब मूल प्रश्न पर आते हैं कि यदि नेवला एक इंसान को काट ले तो क्या होगा? सर्वप्रथम तो नेवले द्वारा काटे गए व्यक्ति को रेबीज़ वायरस का संक्रमण हो सकता है। इसके संक्रमण से मनुष्यों में “हाइड्रोफोबिया” नामक ला-ईलाज तथा जानलेवा बीमारी हो सकती है। इस बीमारी का इलाज केवल और केवल रेबीज़ का टीका है। अतः यदि किसी व्यक्ति को नेवला काट ले तो उसे बिना देर किए हुए तुरंत अस्पताल ले जाएं तथा वहां चिकित्सकों की राय के अनुसार रेबीज़ के टीके लगवाएं। रेबीज़ वायरस कई बार लंबे समय तक शरीर में छुपा बैठा रहता है और फिर एकाएक सक्रिय हो कर शरीर में प्राणघातक हमला बोल देता है अतः इसके उपचार में बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए।

नेवले के काटने से स्ट्रेप्टोकोकल सेप्सिस (streptococcal sepsis) नामक एक अन्य संक्रमण (infection) भी हो सकता है। इलाज न होने की स्थति में यह जानलेवा साबित होता है। यदि नेवले द्वारा काटे जाने वाले व्यक्ति के शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

शरीर का तापमान एकाएक सामान्य से अधिक या कम होना।

हृदय की धड़कन 90 प्रति मिनट से अधिक होना।

सांस लेने की दर 20 बार प्रति मिनट से अधिक होना।

“चिलनैस” या ठंड लगने का अहसास होना।

संक्रमण और अधिक बढ़ने पर शरीर पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। खून में प्लेटेलैट्स की कमी हो जाती है। मूत्र की मात्रा कम हो जाती है। दिल की धड़कन अनियमित होने लगती है। स्थिती गंभीर होने पर रोगी को बेहोशी के दौरे पड़ने लगते हैं। अतः नेवले का काटना कुछ परिस्थितियों में अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति को नेवला काट ले तो उसे शीघ्र से शीघ्र किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में अपना उपचार करवाना चाहिए अन्यथा यह घातक सिद्ध हो सकता है।

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